Emergency was a shock on India and democracy – Lalit Latwal
अल्मोड़ा, 25 जून 2020- भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष व डीसीबी अध्यक्ष ललित लटवाल ने कहा कि आपातकाल (emergency)की घटना लोकतंत्र व वास्तविक आजादी पर प्रहार है.
जारी बयान में उन्होंने कहा कि आज के ही दिन 1975 को तत्कालीन कॉंग्रेस सरकार ने आपातकाल (emergency)लगा दिया था.
उन्होंने कहा कि यह वह दौर नहीं था कि जब लोग नारे लगा कर आजादी मांगते थे, बल्कि लोगों ने सचमुच अपनी आजादी खो दी थी. 1975 में आज ही के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगा दी थी.
कहा कि कॉंग्रेस ने इस कृत्य के लिए आज तक माफी नही मांगी न ही कभी खेद प्रकट किया उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस की कार्यशैली रही है कि वह केवल सत्ता के लिए प्रयत्न करती है.
कहा कि पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के कार्यकाल में जहाँ भारत ने चीन से 42000 वर्ग किलोमीटर की जमीन खोई वहीं पंडित नेहरू द्वारा 1960 संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थाई सदस्य के अपना नाम छोड़कर चीन का नाम लिया जिसका खामियाजा वर्तमान तक पूरा देश भुगत रहा है.
कही कि इंद्रा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल (emergency) जो कि 21 महीने चला भारतीय लोकतंत्र का काला काल था जिसमे लोगो से बोलने की आजादी तक छीन ली गयी, इसका विरोध करने वालो को जबरन जेल में ठूस दिया गया .
कहा कि इसमें भारतीय जनसंघ के अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सहित जय प्रकाश नारायण जैसे कई महान जननायक जेल में रहे.
कहा कि इंदिरा गांधी ने कोर्ट द्वारा केवल उनके चुनाव को अवैध घोषित किए जाने के चलते पूरे देश को आपातकाल में धकेल देना इसका जीवंत उदाहरण है वही कृत्य आज भी कॉंग्रेस कर रही है और अभी उसमें राजशाही वाला रवैय्या है जो कि लोकतंत्र के लिए घातक है.
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