डॉ भूपेन सिंह बने एआईएफयूसीटीओ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य

हल्द्वानी, 23 जनवरी. उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ भूपेन सिंह को ऑल इंडिया फ़ैडरेशन ऑफ़ कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी टीचर्स ऑर्गनाइज़ेशन्स (आइफुक्टो) की…

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हल्द्वानी, 23 जनवरी. उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ भूपेन सिंह को ऑल इंडिया फ़ैडरेशन ऑफ़ कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी टीचर्स ऑर्गनाइज़ेशन्स (आइफुक्टो) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य चुना गया है।


कानपुर विश्विद्यालय मे संपन्न फ़ैडरेशन के तैंतीसवे राष्ट्रीय सम्मेलन में भूपेन सिंह को राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य चुना गया।इस सम्मेलन मे देशभर के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के सात सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


इस सम्मेलन में मद्रास विश्वविद्यालय के प्रो नागराज को अध्यक्ष और पटना विश्वविद्यालय के प्रो अरुण कुमार को राष्ट्रीय महासिव चुना गया। तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान नई शिक्षा नीति पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का भी आयोजन किया गया जिसमें देशभर के विद्वानों ने अपने शोधपत्र पेश किये।इस दौरान अधिकांश प्रोफेसरों ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का असली काम विश्वविद्यालयों में शिक्षा का उच्च स्तर बरक़रार रखना है लेकिन अब वो विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है।


सम्मेलन में यह बात भी उठी कि यूजीसी ने नई शिक्षा नीति (एनईपी) को रेग्यूलेशन का हिस्सा नहीं बनाया है बल्कि वो सिर्फ़ गाइडलाइंस जारी कर रही है। गाइडलाइंस मानने की कोई बाध्यता नहीं होती है जबकि रेग्यूलेशन को मानना विश्वविद्यालयों की बाध्यता है। एनईपी लागू करने का रेग्यूलेशन जारी करने पर यूजीसी को अकादमिक सुविधाएं बढ़ाने के लिए फंड भी जारी करना पड़ेगा इसलिए यूजीसी जानबूझकर सिर्फ़ गाइडलाइंस से काम चला रही है। ऐसी स्थिति में शिक्षा के लोकतंत्रीकरण के लिए देशभर के शिक्षक संगठनों की भूमिका बढ़ जाती है कि वो सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में फंड बढ़ाने के लिए संघर्ष करें।


सम्मेलन से लौटकर हल्द्वानी आए डॉ भूपेन सिंह ने कहा कि उत्तराखंड में भी संगठन को मज़बूत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दौरान पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने, संविदा पर रखे शिक्षकों को नियमित करने और शिक्षा पर बजट का कम से कम 6 फ़ीसदी खर्च करने की बात भी मजबूती से उठाई गई।