नजर अंदाज ना करें फेफड़े की इन बीमारियों को, हो सकती है जानलेवा, यह है चार लक्षण

हमारे शरीर के सबसे नाजुक अंग फेफड़े है, जिसमें अगर कोई बीमारी होने पर सही समय रहते दिया ध्यान नहीं दिया ग़या तो वह बीमारी…

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हमारे शरीर के सबसे नाजुक अंग फेफड़े है, जिसमें अगर कोई बीमारी होने पर सही समय रहते दिया ध्यान नहीं दिया ग़या तो वह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है. फेफड़े शरीर के वह अंग है जो कि लगातार काम करते है, इनका एक सेकंड भी रुक जाने पर हमारी जान जा सकती है, इसलिए इनको स्वस्थ्य रखना काफ़ी जरूरी होता है,इनमे कोई भी बीमारी लगने पर इनकी काम करने की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं . हमारी इस रिपोर्ट में हम ऐसी कुछ बीमारियो के बारे मे जानकारी देंगे और उनके लक्षण के बारे में चर्चा करेंगे।

1. सीओपीडी (COPD)क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी सीओपीडी (COPD) फेफड़ों में होने वाली एक गंभीर बीमारी है, जिसे इग्नोर करना जानलेवा स्थिति पैदा कर सकता है। सीओपीडी कई सालों को तक धीरे-धीरे विकसित होता है और श्वसन मार्गों को डैमेज करता रहता है। सांस फूलना, कोई मेहनत का काम न कर पाना, थोड़ी सी फिजिकल एक्टिविटी करते ही थक जाना और सुबह के समय सूखी खांसी या उसके साथ बलगम आना आदि लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

2. ब्रोंकाइटिस : कई प्रकार के संक्रमण हैं जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। जब फेफड़ों में विकसित होने वाला बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण और वायरल बुखार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो यह ब्रोंकाइटिस के रूप में विकसित हो जाता है। यह समस्या खासतौर पर उन लोगों में ज्यादा देखी जाती है, जो धूम्रपान करते हैं, किसी फैक्ट्री में काम करते हैं या फिर किसी ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां ज्यादा प्रदूषण रहता है।

सिस्टिक फाइब्रोसिस : फेफड़ों की बीमारियां ज्यादातर प्रदूषण या धूम्रपान से ही जुड़ी होती हैं, लेकिन कई जेनेटिक कंडीशन भी हैं जो आपके फेफड़ों को डैमेज कर सकती हैं। इन बीमारियों में प्रमुख रूप से सिस्टिकफाइब्रोसिस जैसी कंडीशन मौजूद हैं। सिस्टिक फाइब्रोसिस में आपके फेफड़े डैमेज होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है, क्योंकि इसमें बार-बार गंभीर बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने का खतरा बना रहता है।

4. पल्मोनरी एंबोलिज्म: फेफड़ों में होने वाली ये बीमारी आमतौर पर रक्त के थक्के से जुड़ी होती है, क्योंकि इसमें शरीर के किसी हिस्से में बना हुए रक्त का थक्का रक्त के माध्यम से फेफड़ों की किसी धमनी में जाकर फंस जाता है। यह थक्का ज्यादातर मामलों में टांग के किसी हिस्से से निकल कर जाता है। फेफड़े की धमनी में जाकर फंसने के कारण यह थक्का सांस लेने में दिक्कत पैदा करने लगता है, जिससे कई बार कई जानलेवा स्थितियां पैदा हो जाती हैं।