नैनीताल। उत्तराखंड (Uttarakhand) की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओ के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओ की सुनवाई उत्तराखंड हाइकोर्ट ने वीडियो कॉंफ्रेंसनिंग के माध्यम से की गई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से और अधिक सतर्कता से काम करने के साथ ही कोरोना संक्रमण की जल्द पहचान करने हेतु RT-PCR टेस्टिंग तेज करने को कहा।
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कोरोना संक्रमण के उपचार के दौरान उपयोग में आने वाली ऑक्सीजन को लेकर कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है ऑक्सीजन का राज्य में भी स्टोरेज करे ताकि आवश्यक पड़ने पर उपयोग में लाया जा सके। राज्य में बंद कॉलेजों को कोविड-19 के रूप में बनाने, पर्वतीय क्षेत्रों में जांच बढ़ाने हेतु मोबाइल सेवा उपलब्ध कराने तथा डॉक्टरों तथा नर्सों की भर्ती शीघ्र करने पर चर्चा हुई।
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सुनवाई के दौरान अधिवक्ता शिव भट्ट ने कोर्ट को बताया कि भवाली स्थित सेनिटोरियम हॉस्पिटल को कोविड केयर सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे अन्य कोविड अस्पतालों पर दवाव को कम किया जा सकता है।
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इस दौरान उत्तराखंड शासन के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने पूर्व के आदेश के क्रम में शपथपत्र भी पेश किया जिस पर कोर्ट ने असन्तुष्ट जाहिर की। मामले की अगली सुनवाई 20 मई को की जाएगी।
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बताते चलें कि अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने क्वारन्टीन सेंटरों व कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में अलग अलग जनहित याचिकायें दायर की थी।