द्वाराहाट में आयोजित परिवर्तन शिविर में लोकतांत्रिक अधिकारों(democratic rights ) व मानवाधिकार पर हुई चर्चा

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Discussion on democratic rights and human rights held in Parivartan camp held in Dwarahat

द्वाराहाट/अल्मोड़ा, 27दिसंबर-
उत्तराखंड में लोकतांत्रिक अधिकारों (democratic rights)का संघर्ष और मानवाधिकार विषय पर द्वाराहाट में दो दिवसीय परिवर्तन शिविर का आयोजन किया गया|

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पहले दिन राज्य के विभिन्न समसामयिक मुद्दों व democratic rightsपर चर्चा की गई|

शिविर में गांव चलो अभियान, लोक चेतना मंच रानीखेत, उत्तराखंड छात्र संगठन, गैरसैंण राजधानी समिति गैरसैंण, देवभूमि सिविल सोसायटी हरिद्वार, दस्तक सामाजिक संस्था द्वाराहाट, महिला एकता परिषद् द्वाराहाट, व्यसन मुक्त समाज गरुड़, किसान सेवक समिति गनोली, महिला मंगलदल शिलग, ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क, नानीसर बचाओ संघर्ष समिति और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने मिलकर आपसी सहयोग से किया।

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इस शिविर के प्रथम दिवस 26 दिसंबर को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार, जल जंगल ज़मीन, नशा नहीं रोज़गार दो आंदोलन, वन बचाओ आंदोलन, नानीसार आंदोलन, नागरिक अधिकार महिला मुद्दों पर, स्थाई राजधानी गैरसैंण के मुद्दे पर गंभीरता से विमर्श हुआ।

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने अध्यक्षता करते हुए सरकार की तमाम जन विरोधी नीतियों का विरोध किया। उन्होंने कहा सरकार ने लगातार हमारे संवैधानिक अधिकार (democratic rights)हमसे छीने हैं जिसका विरोध करने की आश्यकता है।

द्वाराहाट क्षेत्र की मधुबाला और भगवती तिवारी और तमाम क्षेत्रीय महिलाओं ने पशु बीमा के नाम पर गुमराह करते हुए लगाए जा रहे tags का विरोध किया और इस विरोध को बड़े स्तर पर ले जाने की बात की।

सुरईखेत से उपपा कार्यकर्ता और विवान सेवा समिति के महेश फुलारा ने कहा कि रोज़गार छीन लिए गए हैं और स्वरोजगार के लिए काफी संघर्ष है।

बागेश्वर से आए रमेश कृषक ने वन अधिकारों को ख़त्म करने वाली तमाम सरकारी नीतियों की कड़ी निन्दा करते हुए कहा कि आज़ादी से अब तक आई सभी सरकारें पहाड़ विरोधी हैं।
और पहाड़ बचाने के लिए और अपने अधिकार बचाने के लिए हमें राजनीति में क्षेत्रीय विकल्प की आवश्यकता है।
सल्ट से आए हुए पूर्व ज़िला पंचायत सदस्य नारायण सिंह ने पहाड़ की चुनौतियों को सामने रखते हुए जनता से जागरूक होने की बात कही।

अल्मोड़ा से आए हुए वसीम ने कहा कि सरकार स्वास्थ्य के नाम पर अरबों रुपया पानी की तरह बहा रही है ताकि पूंजीपतियों की जेब गर्म हो। उन्होंने कहा उत्तराखंड में महिलाएं प्रसव पीड़ा से आए दिन मौत का शिकार हो रही हैं जिसकी परवाह सरकारों को ज़रा भी नहीं है।

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चलो गांव की ओर अभियान के संयोजक और शिक्षक मोहन कांडपाल ने शिक्षा की बदहाली और गांव से पलायन की समस्या को सरकार की विफलता बताया। उपपा की केंद्रीय सचिव आनंदी वर्मा ने कहा कि सरकार किसी भी चीज़ की व्यवस्था नहीं कर पा रही है और लगातार अधिकारों (democratic rights)का हनन कर रही है जिसके ख़िलाफ़ एकजुट होने की आवश्यकता है।

स्थाई राजधानी गैरसैंण के मुद्दे पर और इसके संघर्ष को विस्तार से रखते हुए नारायण सिंह ने कहा कि सत्ता में आ रही पार्टियां आजतक हमें राजधानी नहीं देना चाहती। और लोकतांत्रिक अधिकारों(democratic rights) की अनदेखी कर रही है|

इस बैठक में आमीनुर्रहमान, हीरा देवी, गोपाल राम, भावेश, पी सी जोशी, किरन आर्या, राजू गिरी, हाई कोर्ट अधिवक्ता स्निग्धा तिवारी, उत्तराखंड छात्र संगठन के अनुराग, प्रकाश, मनोज, भारती पांडे आदि लोग शामिल रहे।

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