समय रात का डेढ़ बजे डीएफओ वनाग्नि(forest fire ) प्रभावित चोटी पर:इस प्रयास को सराहना तो मिलनी ही चाहिए

Time at 1:30 pm DFO on forest fire affected peak आग बुझाने के दौरान चिड़िया द्वारा चोंच से पानी डालने की कहानी जिसमें उस चिड़िया…

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Time at 1:30 pm DFO on forest fire affected peak

आग बुझाने के दौरान चिड़िया द्वारा चोंच से पानी डालने की कहानी जिसमें उस चिड़िया का नाम आग लगाने वालों में नहीं बल्कि बुझाने वालों में दर्ज हुआ था। यह प्रयास भी लगभग वैसा ही दिख रहा है।
अल्मोड़ा के डीएफओ महातिम यादव इस अग्निकाल (forest fire) में अपनी टीम को एक कुशल सहयोगी की तरह ट्रीट कर रहे हैं। वनाग्नि की घटनाएं जरूर तेजी से बढ़ रही है लेकिन उनकी भूमिका की विभाग के अधिकारी सहित कई कर्मचारी और आम समाज के लोग स्वीकार रहे हैं।

अल्मोड़ा, 26 अप्रैल 2022— पहाड़ की चोटियां और वादियां इन दिनों भीषण दावानल(forest fire ) की चपेट में हैं। कुछ स्थानों पर लोग आग बुझाने जा रहे हैं तो कहीं वन विभाग को कोसते लोग भी दिख रहे हैं।


वन विभाग की ओर से भले की और सुदृढ कार्ययोजना बनाने की जरूरत हो या ​अच्छी प्लानिंग बनाने में विभाग चूक गया हो या व्यापक सुधार की गुजांइस ही क्यों ना हो लेकिन इस सबके बीच अल्मोड़ा वन प्रभाग के डीएफओ इस अग्निकाल(forest fire ) में एक हिम्मती और जुझारू टीम लीडर बन कर सामने आए हैं।


आग बुझाने के दौरान चिड़िया द्वारा चोंच से पानी डालने की कहानी जिसमें उस चिड़िया का नाम आग लगाने वालों में नहीं बल्कि बुझाने वालों में दर्ज हुआ था। यह प्रयास भी लगभग वैसा ही दिख रहा है।


अल्मोड़ा के डीएफओ महातिम यादव इस अग्निकाल (forest fire) में अपनी टीम को एक कुशल सहयोगी की तरह ट्रीट कर रहे हैं। वनाग्नि की घटनाएं जरूर तेजी से बढ़ रही है लेकिन उनकी यानि डईएपओ की भूमिका की विभाग के अधिकारी सहित कई कर्मचारी और आम समाज के लोग स्वीकार रहे हैं।


महातिम यादव ने अग्निकाल में हफ्ते में चार दिन खुद की फील्ड ड्यूटी लगाई है। यही नहीं आग लगने की बड़ी घटनाओं में वह खुद मौके पर आग बुझाते दिखाई दिए हैं। चौबटिया क्षेत्र में बीते दिनों वह लगातार चार दिनों तक अग्नि प्रभावित (forest fire) क्षेत्र में दिखे। यही नहीं रानीखेत क्षेत्र की ऊंचाई वाली पहाड़ी में आधी रात को अपनी टीम के साथ बीती रात वह मौजूद रहे।

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रानीखेत क्षेत्र की ऊंचाई वाली पहाड़ी में आधी रात को अपनी टीम के साथ बीती रात वह मौजूद रहे।


बताते चलें कि भटकोट कुमाऊं मंडल की सबसे ऊंची पहाड़ी में एक है। जो वर्तमान में आग (forest fire)की चपेट में है। अल्मोड़ा वन प्रभाग की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठे प्रभागीय वनाधिकारी महातिम यादव, ग्रामीणों और वन विभाग के साथ मोर्चा संभाले हुए हैं। रात के डेढ़ बजे जब सब लोग घरों में नींद के आगोंश में होते हैं तब एक अधिकारी अपने सहयोगी और अधी​नस्थ कर्मियों के साथ खुद आग बुझाने में जूझ रहा हो यह नजारा जरूर समर्थन के काबिल होता है।

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सोशल मीडिया में भी लोग उनके इस प्रयास की सराहना हो रही है। एक यूजर लिखते हैं’ इस तरह के नजारे रोज नहीं होते पिछले 20 सालों के अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि मेरे लिए यह दृश्य एक सपने के सच होने जैसा है जहां डीएफओ स्तर के अधिकारी वन श्रमिकों,फायर वाचरों, ग्रामीणों के साथ आग(forest fire ) बुझाने के साथ साथ आग बुझाने के दौरान होने वाली परेशानियों, दुश्वारियों, चुनौतियों को समझ कर उचित समाधान निकालने,आग के कारणों को समझने, जमीनीस्तर की हकीकत को समझने की कोशिश कर रहे हैं।’


एक अन्य यूजर ने कहा है कि वन अधिकारी यादव को सैल्यूट ऐसा ही हर एक अधिकारी करे तो हम लुटती छीजती वन संपदा को बचा सकते हैं।

यहां पर इस समाचार का प्रकाशन वन विभाग की नीतियों या कार्यशैली की तारीफ करना कतई नहीं है। गलतियां, लापरवाही और सुधार की जरूरत भले ही काफी है।

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यह भी सही है कि वन विभाग आम जनमानस को अपने पक्ष या वनों के पक्ष में करने में असफल साबित हुआ है। वन संपदा का दोहन प्रणाली भी गैंग बनाने का कार्य कर रही हैं तो पर्याप्त संख्या में फायर वाचरों की नियुक्ति , समय पर बजट आवंटन या फिर ग्राम स्तर तक नीतियां नहीं बन पाना भी एक चुनौती है जिसके लिए वन विभाग के नीति निर्धारकों को सोचना होगा, या सोचना चाहिए। लेकिन आग पर नियंत्रण से जूझ रहे विभाग के डीएफओ द्वारा खुद फायर मैन की भूमिका में उतरना उनके साथी सहयोगियों और अ​धीनस्थ ​कर्म​चारियों के लिए संजीवनी का कार्य कर रहा है।

डीएफओ जहां मैदान में खुद आग(forest fire ) बुझाते हुए आए दिन स्पॉट हो रहे हैं। वहीं इस संबंध में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन हो, शैक्षिक क्षेत्र में वन संरक्षण् को शामिल करने की पहल हो या प्रशासन के साथ समन्वय बनाते हुए पर्याप्त वाहनों की व्यवस्था करने या जिला प्रषासन से संवाद स्थापित कर जरूरत के अनुसार स्थानीय पुलिस बल या सैन्य बल की व्यवस्था करना भी उनके एक कुशल प्रबंधन स्वरूप है।