म्यांमार में हाल ही में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने देश को गहरे संकट में डाल दिया है। अब तक कम से कम 1,700 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि हजारों की संख्या में लोग घायल हुए हैं। इस विनाशकारी भूकंप ने पूरे क्षेत्र में भारी तबाही मचाई है, जिससे अनेक इमारतें, पुल और मंदिर नष्ट हो गए हैं या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, यह भूकंप म्यांमार के मध्य सागाइंग क्षेत्र में आया, जो ऐतिहासिक नगर मांडले के समीप स्थित है। यह क्षेत्र पंद्रह लाख से अधिक लोगों का निवास स्थल है और भूकंप से अत्यधिक प्रभावित हुआ है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि मृतकों की संख्या दस हजार से अधिक हो सकती है, क्योंकि अभी भी कई लोग मलबे के नीचे दबे हुए हैं।
भूकंप का प्रभाव म्यांमार से बाहर भी देखा गया, विशेष रूप से बैंकॉक और चीन के कुछ प्रांतों में। बैंकॉक में इस आपदा से कम से कम अठारह लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि एक निर्माणाधीन ऊँची इमारत गिरने से दर्जनों लोग मलबे में दब गए। इसके अतिरिक्त, इरावदी नदी पर बना एक प्रमुख पुल भी धराशायी हो गया, जिससे राहत और बचाव कार्यों में कठिनाई उत्पन्न हो रही है।
बचावकर्मी पूरी तत्परता से राहत और बचाव कार्यों में लगे हुए हैं। किन्तु, भूकंप के कारण कई मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं और संचार प्रणाली बुरी तरह प्रभावित हुई है, जिससे सहायता कार्य में अनेक बाधाएँ आ रही हैं। स्वास्थ्य सेवाओं पर भी जबरदस्त दबाव बढ़ गया है और लाखों लोगों को पर्याप्त भोजन तथा आवास उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
इस संकट के बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी सहायता के लिए आगे आया है। म्यांमार की सैन्य सरकार द्वारा सहायता की अपील किए जाने के पश्चात विभिन्न देशों से राहत दल और अंतरराष्ट्रीय संगठन वहाँ पहुँच रहे हैं। रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट सोसाइटी के अनुसार, एशिया में एक सदी से अधिक समय में इतनी भयावह प्राकृतिक आपदा पहले कभी नहीं देखी गई है।
भूकंप के पश्चात भी कई झटके महसूस किए जा रहे हैं, जिनमें से एक की तीव्रता 6.7 रही। विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी कुछ सप्ताहों तक इस आपदा का प्रभाव बना रहेगा और मृतकों की संख्या में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि अनेक लोग अब भी मलबे में फँसे हुए हैं।