अल्मोड़ा के बेस अस्पताल में भर्ती 5 माह के बच्चें की मौत,परिजनों का इलाज में लापरवाही का आरोप

अल्मोड़ा के खत्याड़ी स्थित बेस चिकित्सालय में भर्ती पांच माह के बच्चें की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल पर इलाज में लापरवाही का आरोप…

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अल्मोड़ा के खत्याड़ी स्थित बेस चिकित्सालय में भर्ती पांच माह के बच्चें की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है।घटना कल रात की है।


20 सितंबर को गौड़, बानठौक के रहने वाले चंद्रशेखर के 5 माह के बालक की तबियत ,खराब होने पर उसे बेस अस्पताल मे भर्ती कराया गया था। उसे पीडियाट्रिक आईसीयू में भर्ती कराया गया था और उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।


ग्राम गौड़, बानठौक के रहने वाले चंद्रशेखर ने कहा कि उसके बच्चे को सर्दी,जुकाम की शिकायत होने पर वह पांच महीने के बेटे उत्कर्ष को दिखाने बेस अस्पताल लेकर आए और उपचार शुरू होने के बाद उनका बेटा स्वस्थ हो रहा था,उसकी खांसी भी बंद हो गई थी। उनसे रात में आईसीयू में तैनात स्टाफ नर्स ने बाहर जाने को कहा और इस पर वह बाहर चले गए,बाद में उनके बच्चें की मौत की सूचना उन्हें मिली।


बच्चें की मौत से उसके मॉ—पिता पर मानो पहाड़ टूट पड़ा। दोनों अस्पताल में रोते रहे। साथ आए परिजनों ने अस्पताल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हो हल्ला किया। वही हंगामा इतना बढ़ा कि अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को बुला लिया।बेस चौकी के प्रभारी कृष्ण कुमार सूचना मिलने के बाद अस्पताल पहुंचे, हंगामे के बीच अस्पताल के एमएस डॉ. अशोक कुमार भी मौके पर पहुंचे। चार घंटे के बाद किसी तरह से मामला शांत हो सका।


पीडियाट्रिक्स ​ विभाग में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर ममता निखुर्पा ने कहा कि 5 माह के बच्चें को गंभीर निमोनिया संक्रमण की शिकायत थी और उसकी सांस भी काफी तेज चल रही थी।बच्चे का वजन भी कम था। निमोनिया रोग के उपचार की गाइडलाइन के अंतर्गत ही उस बच्चें का इलाज किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है कि सांस की गति तेज होने की वजह से बच्चे को हार्ट से संबंधित कुछ समस्या हो। या हार्ट में ज्यादा जोर पड़ने से उसकी मौत हो गई।


डॉ. निखुर्पा ने परिजनों के इलाज में लापरवाही के आरोप को निराधार बताते हुए कहा कि जब बच्चा अस्पताल में लाया गया तभी से वह गंभीर हालत में था और बीती रात उपचार के दौरान लापरवाही के जो भी आरोप लगाए है वह निराधार है। सभी उपचार चार्ट देख लिए गए है। बच्चा शुरू से गंभीर था। जिसके चलते उसे पहले दिन से ही पीडियाट्रिक आईसीयू में उसे भर्ती किया गया था और उसके माता और पिता को इसके बारे में बताया गया था।