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हिमालयी राज्यों की आत्मनिर्भरता के लिए डेटाबैंक (data Bank)को समृद्ध करें युवा शोधार्थी: डाॅ रावल

उत्तरा न्यूज डेस्क
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Enrich the Data Bank for the self-reliance of the Himalayan states: Young researchers: Dr. Rawal

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अल्मोड़ा, 01 अगस्त 2020-  जीबी पंत पर्यावरण संस्थान में आँन लाइन मोड पर विभिन्न शोधार्थियों का मूल्यांकन किया गया.जिसमें data Bank संग्रहण पर जोर दिया गया.

विभिन्न विशेषज्ञों ने कहा कि भारतीय हिमालयी राज्यों में शोधरत हिमालयी शोधार्थियों द्वारा एकत्र किया गया आंकड़ा data Bank महत्वपूर्ण है और हमें इसे और सुदृढ़ करना है.

विशेषज्ञों ने वीडियो कांफ्रेसिंग में कहा कि विभिन्न राज्यों में शोधार्थियों द्वारा जल संसाधनों, जैवविविधता और परम्पराग ज्ञान संसाधन पर आकड़ों (data Bank) का संग्रहरण किया जा रहा है वह अत्यंत लाभदायक होंगे.

वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार ललित कपूर और आईआईटी रूड़की के प्रो. एसके मिश्रा, कुमाऊ विश्वविद्यालय के प्रो.  सीसी पंत तथा पूर्व निदेशक विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान डाॅ. जेसी भटट आदि ने शोधार्थियों के शोध पर दी गई प्रस्तुतिकरणों का मूल्यांकन किया और उन्हें आवश्यक सुझाव दिए.


इस अवसर पर शेर-ए-कश्मीर विश्वविद्यालय के डाॅ. इम्माद ए साह , आरएफआरआई के प्रदीपन राय, तेमलेनसोला व बिथी बरूह , असम कृषि विश्वविद्यालय के हेमंत पोखरियाल, अब्दुल मलिक, लाऔन, दीपांकर नाथ, रकतिम शर्मा आईसीएआर एनआरसीओ सिक्किम से डाॅ रामलाल, एनआईटी नागालैण्ड से माला पामई, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से डाॅ निदा रिजवी, निधि चिल्लर, अभिषेक चिल्लर, आदि ने अपनी प्रस्तुतियां दी.

शोधार्थियों  द्वारा विभिन्न विषयों जैसे आजीविका के लिए बाॅस सदृश्य प्रजातियों के उत्पादों की सम्भावनाओं, नागालैण्ड में जल की गुणवत्ता और उसके मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों, मृदा में नौसर्गिक रूप से बीजों की उपस्थिति व मृदा बीज बैंक, असम की प्रसिद्ध कारबी जनजाति के जीवन , रहन सहन और परम्परागत ज्ञान के संकलन, उत्तराखण्ड में जलजनित आपदा संवेदी क्षेत्रों के चयन और अध्ययन तथा आॅर्किड प्रजातियों के संरक्षण आदि पर किए जा रहे शोधकार्यों का विषय विशेषज्ञों के समक्ष प्रस्तुत किया.

विषय विशेषज्ञों ने अनेक शोधार्थियों द्वारा नवीन क्षेत्रों में नवीन विधियों से किए जा रहे शोध कार्याें की सराहना की और उन्हें कार्य की गुणवत्ता को बनाए रखने का सुझाव दिया.data Bank

इस मौके पर मिशन के नोडल अधिकारी इं0 किरीट कुमार ने कहा कि  जैव विविधता संरक्षण और जल संसाधन प्रबंधन विषयों पर विषय विशेषज्ञों की राय शोधार्थियों के लिए बहुउपयोगी होंगे और इससे उनकी शोध गुणवत्ता व कार्य प्रगति में तेजी आएगी.
उन्होंने कहा कि राज्य स्तर पर शोध उपलब्धियों व सफल माॅडलों को राज्य सरकारों के साथ मिलकर आगे बढ़ाया जा सकता है.


इस अवसर पर गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के निदेशक डाॅ. आरएस रावल ने कहा कि शोधार्थियों का कार्य हिमालयी राज्यों के बन रहे डेटाबेस data Bank
का और समृद्ध करेगा.


विषय विशेषज्ञों में पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरके कोहली , आईआईटी रूड़की के प्रो. एसके मिश्रा , कुमाऊ विश्वविद्यालय के प्रो.  सीसी पंत आदि ने शोधार्थियों का मूल्यांकन किया इस अवसर पर संस्थान की ओर से वैज्ञानिक श्री रंजन जोशी, संदीपन मुकर्जी, आशुतोष तिवारी, डाॅ ललित गिरी, तन्मय धर, जगदीश पाण्डे,  अंकित धनै, योगेश परिहार, अरविंद टम्टा आदि ने सहयोग किया
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