अब इन तीन जगहों पर बनेगी कोवैक्सीन (Covaxin), टीके का संकट दूर होने की उम्मीद

02 जून 2021 भारत बायोटेक के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व्यवस्था के तहत हैफकाइन बायोफार्मा कोवैक्सिन (Covaxin) की डोज तैयार करेगा। इससे वैक्सीन की कमी को…

Now covaxin will be produced at these three places

02 जून 2021

भारत बायोटेक के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व्यवस्था के तहत हैफकाइन बायोफार्मा कोवैक्सिन (Covaxin) की डोज तैयार करेगा। इससे वैक्सीन की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।

पूरी पात्र आबादी का जल्द से जल्द टीकाकरण करने के उद्देश्य से केंद्र की मदद से देश में घरेलू टीकों का उत्पादन बढ़ाने के लिये यह कदम उठाया गया है।

भारत सरकार को जैव प्रौद्योगिकी विभाग आत्मनिर्भर भारत 3.0 मिशन कोविड सुरक्षा के तहत तीन सार्वजनिक उद्यमों को मदद कर रहा है।

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इस पहल के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग आत्मनिर्भर भारत 3.0 मिशन कोविड सुरक्षा के तहत तीन सार्वजनिक उद्यम हैफकाइन बायोफर्मास्यूटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, मुंबई, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल लिमिटेड, हैदराबाद और भारत इम्यूनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल लिमिटेड, बुलंदशहर, उ.प्र में अब को​वैक्सीन (Covaxin) का उत्पादन किया जायेगा।

हैफकाइन बायोफार्मा महाराष्ट्र राज्य का एक सार्वजनिक संस्थान है। हैलफकाइन बायोफार्मा भारत बायोटेक लिमिटेड, हैदराबाद के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण व्यवस्था के तहत कोवैक्सिन टीका बनाने के लिए तैयारी कर रहा है। टीके का उत्पादन कंपनी के परेल स्थित कॉम्प्लेक्स में किया जायेगा।

हैफकाइन बायोफार्मा के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप राठौड़ ने कहा कि कंपनी का एक साल में कोवैक्सीन (Covaxin) की 22.8 करोड़ खुराक का उत्पादन करने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि “को​वैक्सीन (Covaxin) के उत्पादन के लिए हैफकाइन बायोफार्मा को केंद्र ने 65 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र सरकार ने 94 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है”।

उन्होंने कहा कि “हमें आठ महीने का समय दिया गया है इसलिए काम को युद्ध स्तर पर अंजाम दिया जा रहा है। राठौड़ ने बताया कि वैक्सीन उत्पादन प्रक्रिया में दो चरण शामिल हैं – दवा का पदार्थ बनाना और अंतिम दवा उत्पाद।

दवा का पदार्थ बनाने के लिए बायो सेफ्टी लेवल 3 (बीएसएल 3) सुविधा बनाने की जरूरत है, जबकि हैफकाइन में पहले से ही फिल फिनिश की सुविधा उपलब्ध है। बीएसएल 3 एक सुरक्षा मानक है जो ऐसी सुविधाओं पर लागू होता है जहां काम में रोगाणु शामिल होते हैं जो श्वसन मार्ग से शरीर में प्रवेश करके गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं।

बायोटेक्नोलॉजी विभाग की सचिव तथा ‘बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस कौंसिल की अध्यक्ष डॉ. रेणू स्वरूप ने बताय है कि “सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति का उपयोग करके वैक्सीन उत्पादन की क्षमता बढ़ाने से हमारे देश में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान के लिए टीकों की उत्पादन क्षमता वृद्धि का एक लंबा रास्ता तय होगा”’।

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