अल्मोड़ा, 5 अप्रैल 2020
कोरोना वायरस (Corona) संक्रमण से जहां एक ओर पूरा विश्व डरा सहमा हुआ है वहीं, पर्यावरण मित्र पूरी शिद्दत के साथ अपने कार्यो को कर कोराना (Corona) को मात देने में लगे हुए है. इस विषम परिस्थिति में काम करने के बाद भी पर्यावरण मित्रों को पिछले 2 माह से वेतन के लाले पड़े है. जिस कारण उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
जिस वक्त लोग सुबह नींद से जगे नहीं होते है, उस समय एक सफाई कर्मी अपने हाथों में झाड़ू लेकर शहर की सफाई में निकल पड़ता है. वर्तमान में मानवजाति पर कहर बरपा रहा कोरोना वायरस (Corona) से लड़ने में पर्यावरण मित्र अपनी अहम भूमिका निभा रहे है. स्वच्छता को हथियार बनाकर सभी पर्यावरणमित्र कोरोनो (Corona) से निडर होकर लड़ रहे है.
लेकिन इसे सरकार की उदासीनता कहे या उपेक्षा, पिछले 2 माह से इन पर्यावरण मित्रों को वेतन नहीं दिया गया है. जिस कारण उन्हें कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए यह पर्यावरणमित्र वेतन न मिलने के बाद भी पूरी कर्त्तव्यनिष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे है.
बताते चले कि हाल ही में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा ‘कोरोना फायटर्स’ जिसमें स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी समेत अन्य कर्मचारी सम्मलित है, को जीवन बीमा का लाभ दिए का ऐलान किया है. सरकार द्वारा एक ओर सफाईकर्मियों को वेतन से वंचित रखना और दूसरी ओर वित्तीय लाभ के रूप में बीमा का दावा करना हास्यास्पद मालूम पड़ता है.
यही नहीं सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत इस संकट के समय पर्यावरण मित्रों द्वारा दिए जा रहे योगदान के लिए कई बार उनकी तारीफ व उनके कार्यों की सराहना कर चुके है. लेकिन इस संकट के समय में केवल तारीफ करना पर्यावरणमित्रों के लिए एक अन्याय जैसा होगा.
बात करें अल्मोड़ा शहर की तो वर्तमान में यहां नगरपालिका के 178 स्थायी, 3 संविदा व 10 निर्माण गैंग समेत 6 पर्यवेक्षक व 3 ड्राइवर कोरोना वारियर्स की भूमिका निभा रहे है. लेकिन हैरत की बात यह है कि संविदा व निर्माण गैंग के कर्मचारियों को छोड़कर अन्य पर्यावरणमित्रों को पिछले 2 माह से वेतन के लाले पड़े है. बावजूद इसके पर्यावरणमित्र गली, मोहल्ले, सड़कों से कूड़ा करकट उठाकर शहर की सफाई की जिम्मेदारी को बाखूबी निभा रहे है.
देवभूमि उत्तराखंड सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री राजपाल पंवार ने बताया कि फरवरी व मार्च माह का वेतन नहीं मिलने से सफाईकर्मियों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लॉकडाउन के बीच दैनिक आवश्यकताओं व आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए भी तमाम प्रकार की दिक्कतें सफाईकर्मियों को हो रही है.
उन्होंने कहा कि सरकार सफाईकर्मियों की उपेक्षा कर रही है. 2016 के एरियर का भुगतान तक नहीं किया गया है. उन्होंने प्रदेश सरकार से शीघ्र सफाई कर्मचारियों का वेतन दिए जाने की मांग की है.
नगरपालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी ने बताया कि पालिका के पास सफाईकर्मियों समेत अन्य कर्मचारियों को भी वेतन देने के लिए धनराशि उपलब्ध नहीं है. राज्यवित्त आयोग का पैसा आना है. शहरी विकास निदेशालय की मामले में कार्यवाही चल रही है. उन्होंने बताया कि कुछ दिनों बाद धनराशि आने की उम्मीद है. जिसके बाद वेतन का भुगतान किया जाएगा.
पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी ने कहा कि विषम परिस्थिति में निडर होकर जिस तरह सफाई कर्मी अपनी जान की बाजी लगाकर अपने कार्यों को कर रहे है ऐसे में सरकार द्वारा पर्यावरणमित्रों को विशेष पारिश्रमिक का लाभ दिया जाना चाहिए.