Almora: उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने शिकायती वाद को किया निरस्त यह आदेश दिए

Almora: Consumer Disputes Redressal Commission canceled the complaint ज़िला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अल्मोड़ा ने जिला सहकारी बैंक के खिलाफ की गई शिकायत को परीशीलन…

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Almora: Consumer Disputes Redressal Commission canceled the complaint

ज़िला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अल्मोड़ा ने जिला सहकारी बैंक के खिलाफ की गई शिकायत को परीशीलन के बाद निरस्त कर दिया है।
आयोग के समक्ष शिकायतकर्ता प्रकाश चंद्र पाण्डे पुत्र चिंतामणि निवासी ग्राम धुरासंग्रोली पोस्ट चायखान अल्मोड़ा ने शाखा प्रबंधक ज़िला सहकारी बैंक लमगड़ा व प्रबंधक ज़िला सहकारी बैंक अल्मोड़ा के विरुद्ध एक शिकायती वाद उसके ऋण खाता से 10 नवंबर 2017 को निकाली गई धनराशि रुपया एक लाख निनानबे हज़ार मय ब्याज व मानसिक क्षति के रूप में रुपया बीस हज़ार दिलवाए जाने हेतु प्रस्तुत किया था।

अल्मोड़ा, 22 अप्रैल 2022- ज़िला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अल्मोड़ा ने जिला सहकारी बैंक के खिलाफ की गई शिकायत को परीशीलन के बाद निरस्त कर दिया है।


आयोग के समक्ष शिकायतकर्ता प्रकाश चंद्र पाण्डे पुत्र चिंतामणि निवासी ग्राम धुरासंग्रोली पोस्ट चायखान अल्मोड़ा ने शाखा प्रबंधक ज़िला सहकारी बैंक लमगड़ा व प्रबंधक ज़िला सहकारी बैंक अल्मोड़ा के विरुद्ध एक शिकायती वाद उसके ऋण खाता से 10 नवंबर 2017 को निकाली गई धनराशि रुपया एक लाख निनानबे हज़ार मय ब्याज व मानसिक क्षति के रूप में रुपया बीस हज़ार दिलवाए जाने हेतु प्रस्तुत किया था।

विपक्षीगण के ओर पैरवी करने वाले अधिवक्ता रोहित कार्की ने बताया कि शिकायतकर्ता ने साक्ष्य के रूप में विपक्षी को लिखें पत्रों की प्रतियां तथा अन्य संबंधी लिखें पत्र व बैंक स्टेटमैंट की प्रतियां प्रस्तुत की। विपक्षीगण की ओर से शपथपत्र फेहरिस्त में एकाउंट ओपनिंग फार्म की प्रति और डेबिट वाउचर की प्रति प्रस्तुत की गई।

बहस के दौरान विपक्षी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि शिकायकर्ता का उक्त खाता क्रेडिट ऋण से संबंधित हैं क्रेडिट ऋण से शिकायतकर्ता द्वारा लगातार लेन देन किया जाता रहा हैं विवादित धनराशि दिनांक 10.11.2017 को शिकायतकर्ता के खाते से चैक के माध्यम से आहरित हो चुकी थी,परंतु उनके द्वारा एक साल के बाद दिनांक 15.12.2018 को पहली बार विपक्षी के समक्ष यह बात रखी जबकि इस दौरान उसके क्रेडिट ऋण खाते से लगातार लेन देन किया जाता रहा जिसकी इंट्री स्टेटमेंट में दर्ज हैं। विपक्षीगण के अधिवक्ता द्वारा आयोग का ध्यान पत्रावली पर उपलब्ध खाता खोलने के पपत्र व डेबिट वाउचर की ओर आकर्षित किया गया जिसके पीछे वाले भाग पर किए गए हस्ताक्षरों का मिलान करने पर स्पष्ट होता हैं की वो एक ही व्यक्ति द्वारा किए गए हैं।बहस के दौरान शिकायतकर्ता द्वारा चैक बुक से संबंधित कोई भी साक्ष्य उपलब्ध नहीं कराया गया और न ही किसी प्रथम सूचना रिपोर्ट और न ही भारतीय रिजर्व बैंक को दिए कोई शिकायत संबंधी दस्तावेज़ ही प्रस्तुत किए।
उन्होंने बताया कि परीशीलन के बाद आयोग द्वारा आदेश में शिकायतकर्ता की शिकायत को निरस्त किया हैं।