मुख्यमंत्री ने कहा कि यह देखा जाएगा कि विद्यालय समय के बाद स्कूल भवन का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है। वर्चुअल क्लास का उपयोग एकेडमिक पढ़ाई के साथ ही कैरियर परामर्श, प्रतियोगिताओं की तैयारी, साक्षरता, मोटिवेशन क्लास में करने की सम्भावना देखी जाएगी। उन्होंने सचिव विद्यालयी शिक्षा को इसके लिए निर्देशित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तकनीक से शिक्षक का स्थान नहीं लिया जा सकता है परंतु जहां शिक्षक नहीं हैं, वहां यह उपयोगी रहेगी। इससे शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जा सकता है। बच्चों का बहुआयामी विकास होगा। उनका सोचने का दायरा बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री ने वर्चुअल जुडे विभिन्न विद्यालयों के बच्चों से संवाद भी किया। बच्चों ने उनसे अनेक प्रश्न पूछे जिनका मुख्यमंत्री ने विस्तार से जवाब दिया। मुख्यमंत्री ने बच्चों को कहा कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता है। जो भी काम करें, पूरी निष्ठा, एकाग्रता और समर्पण से करें। मुख्यमंत्री से बात करने वालों में जीजीआईसी, कर्णप्रयाग की अमीषा व आंचल, जीआईसी, पाण्डुकेश्वर की अंशिका, जीआईसी, एकेश्वर के जयरत्न व साहिल कुमार, जीजीआईसी रानीखेत अल्मोड़ा की लक्षिता शाह व आशा, जीआईसी हरपुन हरसन (उधमसिंहनगर) के मोहम्मद सलीम, जीआईसी दिक्तोली(चम्पावत) की मानसी, जीआईसी गुरना (पिथौरागढ़) के हर्षकुमार, जीआईसी गुनियालेक, नैनीताल की नीतू व योगिता शामिल थे।