अल्मोड़ा। हिमालयी क्षेत्र में संचालित परियोजनाएं व्यवहारिक हो और इनका लाभ अधिक से अधिक यहां के पर्यावरण व समाज को मिले। यह बात वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन(Climate change) मंत्रालय भारत सरकार की नव अपर सचिव सुश्री बीवी उमादेवी ने बैठक के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि हमें परियोजनाओं के सामाजिक महत्व के साथ उनके कार्यों में दोहराव से बचना होगा ।
राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन की 14वीं स्टैग (वैज्ञानिक एवं तकनीकी सलाहकार समूह) की नई दिल्ली वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में आयोजित बैठक के उद्घाटन अवसर पर उन्होंने मिशन के अंतर्गत हिमालयी राज्यों में चल रही परियोजनाओं की प्रगति की सराहना की और कहा कि विभिन्न परियोजनाओं से निकलने वाले वैज्ञानिक विचारों, ज्ञान, माॅडलों, पद्धतियों आदि का व्यापक प्रचार प्रसार हो और वृहद स्तर पर इन्हें अंगीकार किया जाए।
इस अवसर पर मिशन द्वारा लगभग 5 दर्जन परियोजनाओं की प्रगति पर प्रकाशित हिंदी पुस्तक ‘हिमालयी क्षेत्र की अध्ययन परियोजनाओं’ का भी उन्होंने स्टैग सदस्यों के साथ विमोचन किया।
बैठक का संयोजक कर रहे मिशन नोडल अधिकारी इं0 किरीट कुमार ने बताया कि लगभग एक दर्जन नई परियोजनाओं को इस बैठक में मूल्यांकन हेतु प्रस्तुत किया गया। जिसपर विशेषज्ञों ने अपनी राय दी।
इस अवसर पर डब्लूडब्लूएफ के डाॅ दण्डाधर शर्मा, डीएसटी की विशेषज्ञ, डाॅ निशा मेंदीरत्ता, टेरी स्कूल और एडवांस स्टडी की प्रोफेसर जेके गर्ग आईएआरआई नई दिल्ली से डाॅ डीसी उप्रेती, मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार ललित कपूर, प्रोफेसर वीके मिनोचा, अपर निदेशक शरद आदि ने इस बैठक में भाग लिया। एनएमएचएस पीएमयू से डाॅ ललित गिरी, पुनीत सिराड़ी, जगदीश पाण्डे आदि ने बैठक संचालन में सहयोग किया।