इस मौके पर विद्यालय में बाल शोध मेला व स्वच्छता प्रदर्शनी का आयोजन किया गया,बाल शोध मेला इस बात की पुष्टि करता है कि ज्ञान केवल किताबों तक ही सीमित नहीं रहता है वह तो सर्वत्र फैला हुआ है जरूरत है उसे एक निरंतरता और एक क्रम में समायोजित कर उसका निर्माण करने की।
बच्चे अपने परिवेश और आसपास घट रही घटनाओं से निरन्तर कुछ न कुछ सीखते रहते हैं। वे कुछ अनुमान लगाते हैं,स्वयं से अनुभव करते हैं और बड़ों से संवाद करते हुए अपनी समझ को विकसित करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में उनके भीतर की जिज्ञासा, कौतूहल, आनन्द की अनुभूति व मन में उठ रहे प्रश्न उन्हें कुछ नया खोजने की ओर प्रेरित करते हैं। यही नई खोज नया ज्ञान है, बच्चों को बताया गया कि स्वच्छता ही सेवा है। उनकी समस्याओं का समाधान भी किया गया।
बच्चों ने न केवल स्वच्छ्ता सामग्री की प्रदर्शनी लगाई साथ ही विभिन्न मॉडलो के माध्यम से अपने क्षेत्र की जनता को बताया कि हम कैसे कैसे स्वच्छता को सेवा का रूप दे सकते है और इसके क्या लाभ है प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण स्वच्छ भारत मॉडल रहा इसके अलावा,रेन वाटर हारवेस्टिंग मॉडल, क्लीन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट,जैविक व अजैविक कूड़ा दान, कूड़ा निस्तारण कैसे करे, प्लास्टिक से कैसे निजात पाये, भीमल की रस्सी से बने कैरी बैग भी अभिभावकों। ने सराहे ।साथ ही साथ छात्रों ने शिक्षक के साथ मिलकर कई प्रकरणों पर कार्य भी किया।