Glory of chitai golu devta
मान्यता है कि चंपावत के राजा हलराई के पौत्रा और झलराई के पुत्र की पैदाईश के पीछे षड़यंत्र किया गया।
इस बात से ग्वेल (chitai golu devta)के जन्म का राज खुला और राजा ने उसे पुत्र के रूप में स्वीकार किया। एक जनप्रिय,उदार और पराक्रमी राजा के रूप में ग्वेल कुमाऊॅ के गांव गांव तक विख्यात हो गये।
मान्यता है कि किसी भी प्रकार के अन्याय,उपेक्षा और पीड़ा में श्रद्धालु अपनी मन्नत वहां लिख कर टांग आता है। न्याय देवता के रूप में विख्यात गोलू देवता (chitai golu devta) उसकी मन्नत जरूर पूरी करते है।
आज आदमी तो दूर अनेकों बार हड़ताली कर्मचारी संगठन भी अपनी मांगों को यहां टांगकर न्याय की गुहार लगाते हैं। उत्तराखण्ड में वनों को बचाने के लिए तमाम उपायों में स्वयं को विफल पाते हुए वन विभाग ने स्वयं वनों को ग्वेल देवता को समर्पित किया हैं।
मान्यता है कि एक पराक्रमी, न्यायप्रिय और साहसी राजा के रूप में ग्वेल देवता (chitai golu devta)ने यहां से नेपाल तक अन्याय और अत्याचार को समाप्त करने तथा हर जरूरत मंद के लिए मसीहा के रूप में कार्य किया। अपनी इसी छवि के कारण वे लोगों के बीच पूज्य हो गये।
वर्तमान में गायत्री परिवार सहित अनेक संगठन यहां से बलि प्रथा को समाप्त करने को आंदोलन भी संचालित कर रहे हैं। अल्मोड़ा,पिथौरागढ़,राजमार्ग में स्थित इस मंदिर में लाखों लोगों की अटूट आस्था और विश्वास है। इसी के निकट डाना गोलू का भी मंदिर है। एक पर्यटन और धार्मिक स्थल दोनों के रूप में इस स्थान को महत्व आऐ दिन बढ़ता जा रहा है।
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