चीन ने पृथ्वी पर उतारा सूर्य! 17 मिनट तक बना ऐसा तापमान की सूर्य भी पड़ गया फीका, आश्चर्य में दुनिया

चीन ने सूर्य को पृथ्वी पर उतार दिया है! 17 मिनट तक ऐसा तापमान बनाया गया, जिससे सूर्य भी फीका लगने लगा, इससे पूरी दुनिया…

China sent the Sun down to Earth! For 17 minutes, the temperature was so high that even the Sun faded, the world was surprised

चीन ने सूर्य को पृथ्वी पर उतार दिया है! 17 मिनट तक ऐसा तापमान बनाया गया, जिससे सूर्य भी फीका लगने लगा, इससे पूरी दुनिया आश्चर्यचकित हो गई।

यदि हम तकनीक और विज्ञान की बात की जाए तो चीन को नजर अंदाज नही कर सकते।

कभी अपनी ऊंची इमारतों और पोर्टेबल घरों से तो कभी अनोखे गैजेट्स बनाकर चीन हमेशा हमें चौंका ही देता है। इस बार उसने प्राकृतिक रोशनी का कृत्रिम विकल्प भी तैयार कर किया है।

पड़ोसी देश चीन के बढ़ते प्रभुत्व को नकारा नहीं जा सकता। चीन न केवल अपने सस्ते उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि विज्ञान और तकनीक में भी वह चमत्कार कर रहा है। इस बार फिर से वह अपनी एक नई खोज के लिए सुर्खियों में है। भले ही यह प्रोजेक्ट नया नहीं है, लेकिन इसमें हुई प्रगति जरूर नई है।

डेली स्टार की रिपोर्ट की माने तो, चीनी वैज्ञानिकों ने सूर्य के केंद्र से छह गुना अधिक तापमान उत्पन्न कर एक विश्व रिकॉर्ड बनाया है। चीन ने ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में कम लागत में ऐसा काम किया है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। 20 जनवरी को चीनी वैज्ञानिकों ने 1066 सेकंड यानी 17 मिनट तक 180 मिलियन फ़ारेनहाइट यानी 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस से अधिक प्लाज़्मा तापमान बनाए रखा।

चीन में परमाणु फ्यूजन के इतिहास में यह एक बड़ी उपलब्धि है। हफेई के इंस्टीट्यूट ऑफ प्लाज़्मा फिज़िक्स में एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामक (EAST) के जरिए यह सफलता हासिल की गई, जिसने 2023 में स्थापित 403 सेकंड के ऊर्जा उत्पादन के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। यह चीन के कृत्रिम सूर्य प्रोजेक्ट का हिस्सा है।

संस्थान के निदेशक सोंग युनताओ ने बताया कि पृथ्वी पर सूर्य के समान तापमान प्राप्त करने के लिए सूर्य से भी अधिक गर्म प्लाज़्मा तापमान की आवश्यकता होगी। अनुमान है कि सूर्य के केंद्र का तापमान लगभग 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस होता है। उन्होंने चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ को बताया कि 100 मिलियन डिग्री और 1000 सेकंड की सीमा पार करना चीन की क्षमता को दर्शाता है।

चीन का दावा है कि वह परमाणु फ्यूजन का उपयोग कर कुछ दशकों में ग्रीन एनर्जी का निर्माण करेगा। हालांकि, वैज्ञानिकों को आशंका है कि इसमें थोड़ा अधिक समय लग सकता है क्योंकि प्रगति इतनी तेजी से नहीं हो रही है।

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