कसारदेवी में चारू का आर्ट गैलरी कैफे,रचनात्मकता व कल्पना शक्ति का जीवंत स्वरूप,आप भी आएं यहां, जरूर पसंद आएगा आर्ट गैलरी और रेस्त्रां का कांबीनेशन

कसारदेवी में चारू का आर्ट गैलरी कैफे,रचनात्मकता व कल्पना शक्ति का जीवंत स्वरूप

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उत्तरा न्यूज अल्मोड़ा। पहाड़ की महिलायें किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नही हैं। यह साबिति कर दिखाया कसादेवी की चारु मेहरा नाम की बालिका ने। फाईन आर्ट से एमए कर चुकी चारु ने अपनी रचनात्मकता और कल्पना शक्ति का प्रयोग अपने व्यवसाय में किया है जिसके चलते हिमालयन हिप्पी मड हाउस आर्ट कैफे नाम का उनका प्रतिष्ठान सैलानियों व स्थानीय लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

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चारु का यह कैफे केवल चाय की दुकान नही हैं बल्कि आने वाले देशी विदेशियों को संगीत चित्रकला और हस्तकला की अनुभूति से भी आकर्षित करता है। चारू के कैफे में पारम्परिक चाय काफी के अलावा स्थानीय मडुवे का पेन केक, केक फ्रूट, कुमाऊनी थाली सहित कई भोजन बनते हैं। वहीं कैफे के साथ लगे आर्ट गैलेरी में लगाई गयी चारु की पेंटिग भी खूब पसंद की जा रही हैँ। इसके अलावा देशी विदेशी बाद्य यंत्र जिनमें काहौन, बोपांग, आस्टेलियन पाईप, एकतारा और करताल संगीत प्रेमियों को मंत्र मुग्ध कर देता है। इस आर्ट गैलरी में आने वाला अ​थिति संगीत और कला से भी स्वयं साक्षात्कार करता है।

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आर्ट गैलरी को चारू ने अपनी मेहनत से पूरी तरह प्राकृतिक लुक दिया है। उन्होंने मिट्टी से लीप कर इस कमरेनुमा आर्ट गैलरी को तैयार किया जहां उनके द्वारा तैयार ​की गई कलाकृतियां रखी गई हैं। लोग पहाड़ के व्यंजनों के साथ ही कलाकृतियों और म्यूजिकल यंत्र रखे ​गए हैं।

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कसारदेवी क्षेत्र में हर साल हजारों की संख्या में कई देशों के पर्यटक घूमने आते है। यहां शांति और योग साधना के लिए भी पर्यटक पहुचते हैं। वही कसारदेवी क्षेत्र से हिमालय का आकर्षक दृष्य पर्यटकों को खूब प्रभावित करता हैं। यह कैफें विदेशी पर्यटकों को खूब लुभा रहा है।

कसारदेवी में चारू का आर्ट गैलरी कैफे,रचनात्मकता व कल्पना शक्ति का जीवंत स्वरूप

यहां यह बात भी दीगर है कि होटल और कैफे संचालन व्यवसाय पुरुष प्रधान माने जाने के बाबजूद चारु ने बड़ी आसानी से इस चुनौती को स्वीकार्य किया। उनकें मेहनत के दम पर उनका यह कैफे कसारदेवी में अच्छी पहचान बना चुका हैं। चारू भी मानती हैं कि शुरुआत में उनके काफी परेशानी का सामना करना पड़ा ।

चारू ने कई नियम भी बनाए हैं उनके इस कैफे में नशे के लिए पूरी तरह ना है। लेकिन अभी भी उन्हें कई चुनौतियों से पार पाना है। पानी के लिए उन्हें आधा किमी दूर नौले तक जाना पड़ता है तो सड़क किनारे स्थित उनके कैफे परिसर में सोलर स्ट्रीट लाइट की जरूरत है। पहाड़ की संस्कृति से लगाव रखने वाली चारू ने आ​तिथ्य सत्कार और म्यूजिक के प्रति जुड़ाव अपने दादा से सीखा और फाईन आर्ट से एमए करने के बाद नौकरी के बजाय अपना व्यवसाय खोलने की पहल की जो अनुकरणीय है।

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