Chamoli Disaster- बड़े बांधों पर तत्काल रोक लगाये सरकार – उलोवा ने की मांग

अल्मोड़ा। उत्तराखण्ड लोक वाहिनी ने विगत रविवार को चमोली जिले के तपोवन में हुये हादसे (Chamoli Disaster) के लिये बड़े बांधो को जिम्मेवार करार दिया…

Chamoli disaster

अल्मोड़ा। उत्तराखण्ड लोक वाहिनी ने विगत रविवार को चमोली जिले के तपोवन में हुये हादसे (Chamoli Disaster) के लिये बड़े बांधो को जिम्मेवार करार दिया है। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए उत्तराखण्ड लोक वाहिनी के दयाकृष्ण कांडपाल ने कहा कि उलोवा लगातार बड़े बांधों के खिलाफ आवाज उठाते आई है और राज्य बनने के बाद से भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारों ने हमेशा बड़े बांधों का ही पक्ष लिया है जबकि पर्यावरणविद और संघर्षशील ताकतें लगातार बड़े बांधो से होने वाले विनाश के बारे में आगाह करते आ रहे है।

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उलोवा नेताओं ने कहा कि राज्य बनने के बाद उलोवा की पहल पर अल्मोड़ा जिले में सरयू नदी पर स्थानीय नागरिकों के सहयोग से 1 मेगावाट क्षमता के एक बांध के लिये सरकार को आवेदन किया गया था लेकिन उसे सरकार ने मंजूरी नहीं दी। जबकि राज्य में छोटे बांध और सौर ऊर्जा ही ऊर्जा की कमी हो पूरा करने में सक्षम है। उलोवा नेताओं ने कहा कि जिस जगह पर यह (Chamoli Disaster)
हादसा हुआ है उसके आसपास तीन डैम और बनने है। उत्तराखण्ड वैसे ही भूकंप की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है और बड़े बांध हमेशा से ही विनाशकारी साबित हुए है और इसके बजाय सुरक्षित छोटे डैम हमारी सरकारों के एजेंडे में ही नहीं है।

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चमोली (Chamoli Disaster) में आई भीषण आपदा पर दुख व्यक्त करते हुवे उत्तराखण्ड लोकवाहिनी से भारत सरकार से बडे बाधों के निर्माण पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखण्ड की नदियों पर अभी 350 सो अधिक परियोजनायें स्वीकृति के लिये लम्बित पडी हुई है और यदि इन्हें स्वीकृति मिली तो नदी घाटियों में बाधों के सिवा कुछ भी शेष नहीं बचेगा।

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उलोवा नेताओं ने कहा कि उत्तराखण्ड विकास के नाम पर अपनी कुर्वानी दे रहा है पर इन बांधो पर मालिकाना हक उत्तराखण्ड का नही है। वक्ताओं ने कहा कि पहाडो से छेडछाड के गम्भीर परिणाम सामने आ रहे है। और राज्य बनने के बाद बीस वर्षो के इस अब तक कई बडी आपदाये (Chamoli Disaster) आ चुकी है जिसमें जानमाल की बडी हानि हो रही है। इस मौके पर उत्तराखण्ड के जनकवि गिरीश तिवारी ‘‘गिर्दा‘‘ के भतीजे कुणाल तिवारी ने उनकी कविता ‘‘एक तरफ है बर्बाद बस्तियां एक तरफ हो तुम‘‘ के माध्यम से पानी को लेकर की जा रही राजनीति पर आंदोलनकारी संगठनों की सोच को साझा किया। प्रेस वार्ता म जंगबहादुर थापा, अजयमित्र सिंह बिष्ट आदि मौजूद रहे।

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