1971 की जंग : पूर्व सैनिकों ने मनाया छम्ब दिवस, 7 कुमाऊं के पराक्रम को किया याद

पिथौरागढ़। सन 1971 के भारत और पाकिस्तान के युद्ध में 7 कुमाऊं रेजिमेंट के पराक्रम, शौर्य और शहादत की याद में सतवीर पल्टन के पूर्व…

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पिथौरागढ़। सन 1971 के भारत और पाकिस्तान के युद्ध में 7 कुमाऊं रेजिमेंट के पराक्रम, शौर्य और शहादत की याद में सतवीर पल्टन के पूर्व सैनिकों ने सोमवार को यहां समारोह पूर्वक 51वां छम्ब दिवस मनाया।
यहां नैनीसैनी स्थित एक बारात घर में आयोजित समारोह में 7 कुमाऊं रेजिमेंट के पूर्व सैनिक, कुछ सिस्टर बटालियन तथा अवकाश प्राप्त सैनिक शामिल हुए। भारत – पाकिस्तान युद्ध में छम्ब के मोर्चे पर अपना पराक्रम दिखा चुके पूर्व सैनिक हवलदार दिवान सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुभारंभ किया और इस युद्ध की आपबीती बताई।

उन्होंने कहा कि कुमाऊं की 7वीं बटालियन को इस युद्ध में छम्ब सेक्टर में कचरियाल के मोर्चे पर तैनात किया गया था। 4 दिसंबर की रात को ही दुश्मन ने अचानक इस सेक्टर पर हमला कर दिया, जहां सात कुमाऊं ने पाक सेना का मुहतोड़ जवाब देकर उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने बताया कि इस संग्राम में दुश्मन के 150 से अधिक सैनिकों को ढेर किया गया, जबकि 7 कुमाऊं के 2 अधिकारी सहित 25 जवानों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। साथ ही अपना पराक्रम दिखाते हुए पल्टन के लगभग 56 जवान घायल हो गए, लेकिन दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए।

इसी पराक्रम को देखते हुए 7 कुमाऊं को थियेटर आनर छम्ब, जम्मू और कश्मीर के सम्मान से नवाजा गया। इस युद्ध के शहीदों व पल्टन के पराक्रम की याद में तब से 5 दिसंबर को छम्ब दिवस के रूप में मनाया जाता है। 7 कुमाऊं की इस पल्टन को सतवीर पल्टन के नाम से भी जाना जाता है, और यूनिट को उसकी बहादुरी तथा शौर्य के कारण ‘हम राही रण के’ के रूप में भी जाना जाता है।