कोसी नदी व जल स्रोतों को संरक्षित करने की मुहिम सोमेश्वर के इंटर कॉलेजों में विद्यार्थियों के बीच आयोजित हुई जागरुकता गोष्ठी

Campaign to preserve Kosi river and water sources Awareness seminar organized among students in Inter Colleges of Someshwar सोमेश्वर/ अल्मोड़ा, 10 नवंबर 2022— कोसी नदी…

Campaign to preserve Kosi river and water sources Awareness seminar

Campaign to preserve Kosi river and water sources Awareness seminar organized among students in Inter Colleges of Someshwar

सोमेश्वर/ अल्मोड़ा, 10 नवंबर 2022— कोसी नदी और उसे जलापूर्ति करने वाले गाड़, गधेरों, और धारों को संरक्षित, संवर्धित करने के उद्देष्य से चलाई जा रही जनजागरुकता मुहिम को स्कूली विद्यार्थियों तक ले जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।


बीते बुधवार को जीआईसी सोमेश्वर और जीजीआईसी सोमेश्वर में विद्याार्थियों के बीच जनजागरुकता के मद्देनजर गोष्ठी का आयोजन किया गया।


गोष्ठी में कोसी नदी पुनर्जीवन अभियान को जन अभियान बनाने,जल स्त्रोतों और जंगलों को संरक्षित करने हेतु स्थानीय स्तर पर जनसहभागिता सुनिश्चित करने पर छात्र छात्राओं से संवाद किया गया।

इन दोनों बैठकों की अध्यक्षता श्री हीरा राम सरपंच वन पंचायत फल्याटी द्वारा की गई। स्वास्थ्य उपकेन्द्र सूरी के फर्मासिस्ट गजेन्द्र पाठक द्वारा पावर प्वाइंट प्रेजेन्टेशन के माध्यम से कोसी नदी और उसे जलापूर्ति करने वाले गाड़, गधेरों और धारों में पानी के स्तर में हो रही गिरावट के कारणों पर प्रकाश डाला।

Campaign to preserve Kosi river and water sources Awareness seminar
Campaign to preserve Kosi river and water sources Awareness seminar


उन्होंने बताया कि कृषि उपकरणों तथा जलौनी लकड़ी के लिए मिश्रित जंगलों का अनियंत्रित और अवैज्ञानिक दोहन होने, जंगलों में आग लगने की घटनाओं में निरंतर वृद्धि होने तथा वैश्विक तापवृद्धि के कारण जलवायु परिवर्तन होने से जल स्रोतों और जैवविविधता पर विपरीत असर पड़ रहा है जिसके कारण गाड़,गधेरे,नौले धारे और गैर हिमानी नदियों का जल स्तर लगातार कम हो रहा है जो भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है।


जंगलों को अनियंत्रित और अवैज्ञानिक दोहन से बचाने तथा जंगलों की आग को रोकने और इसे नियंत्रित करने में वन विभाग की मदद के लिए जनता को आगे आना होगा तभी जल स्त्रोतों को सूखने से बचाया जा सकता है।

जंगलों को आग से बचाकर और जंगलों में मानवीय हस्तक्षेप को कम कर सहायतित प्राकृतिक पुनरोत्पादन पद्धति (एएनआर) से नये जंगल भी विकसित किए जा सकते हैं जो जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तापवृद्धि जैसी समस्याओं से मुकाबला करने में बेहद मददगार साबित होंगे।


शोध विद्यार्थी नीरज पंत द्वारा विद्यार्थियों को जंगलों और जल स्त्रोतों के प्रति अधिक संवेदनशील होने के लिए प्रेरित किया।अमित देवराडी़ प्रवक्ता राजकीय इंटर कालेज सोमेश्वर द्वारा इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम लगातार आयोजित किए जाने पर जोर दिया।


ग्राम सभा अर्जुनराठ के सामाजिक कार्यकर्ता भूपाल बोरा द्वारा सभी लोगों से आह्वान किया कि जंगलों को आग से सुरक्षित रखने हेतु वन विभाग को सहयोग करें और केडा़ जलाने का कार्य हर साल मार्च महीने में पूरा कर लें ताकि गर्मियों में जंगलों को आग से सुरक्षित रखा जा सके।

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वन दरोगा हीरा सिंह बिष्ट ने जंगलों को सुरक्षित रखने में ग्रामीणों के सहयोग की जरूरत बताई।


एसएमसी अध्यक्ष कैलाश बोरा, अध्यक्ष ने ओड़ा या केडा़ जलाने की परंपरा को समयबद्ध और व्यवस्थित करने हेतु ठोस कार्ययोजना तैयार करने की मांग की ताकि जंगलों में आग लगने की घटनाओं को प्रभावी तरीके से रोका जा सके।


दोनों कार्यक्रमों में किशोर चंद्र, श्रीमती नीमा आर्या, हीरा सिंह बिष्ट, हरेंद्र सिंह सतवाल, धीरेन्द्र कुमार, गोपाल राम आर्या, जगदीश गिरी, दीवान सिंह, जीत सिंह, मधन सिंह, नन्दन राम आर्या, हरीश चंद्र जोशी, ज्ञानेंद्र पाल सिंह,जानकी जोशी,रेखा बिष्ट,खिला देवी,बीना देवी, ममता देवी, यशोदा देवी,हेमा देवी, शिक्षकों,वन कर्मियों, राजस्व निरीक्षकों तथा सैकड़ों विद्यार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।