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फर्जी सोसाइटी खोलकर धोखाधड़ी करने वाले शाखा प्रबन्धक को पुलिस ने किया हल्द्वानी से गिरफ्तार

Newsdesk Uttranews
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उत्तरा न्यूज बागेश्वर सहयोगी। लोगों को आर्थिग प्रगति के झूठे सपने दिखाकर उनकी जमा पूंजी को धोखे से कथित सोसायटी में जमा करने वाले वांछित अभियुक्त को पुलिस ने हल्द्वानी से गिरफ्तार कर लिया है।

मालूम हो कि फरवरी माह में तुलसी पाण्डे पुत्री स्व0 श्री ख्याली दत्त पाण्डे निवासी- ग्राम- बिलौना थाना/जिला- बागेश्वर ने थाना कोतवाली में तहरीर दी की अर्थलैण्ड डेवलपर्स लिमिटेड(अर्थक्रेडिट सोसाइटी) के मालिक व शाखा प्रबन्धक दीपक लोहिया द्वारा वादिनी तुलसी पाण्डे व अन्य लोगों को अपनी शाखा से जोड़कर विभिन्न प्रकार की योजनाओं का झांसा देकर शाखा में खाते खुलवाये गये तथा समयावधि(मैच्योरिटी) पूर्ण होने के बाद भी खाताधारको के पैसों का भुगतान नहीं किया गया।

आरोपों के मुताबिक उक्त सोसायटी द्वारा खाताधारकों का पैंसा हड़प कर धोखाधड़ी की गयी व अर्थलैण्ड डेवलपर्स लिमिटेड बागेश्वर जिसकी शाखा/कार्यालय माल रोड में खोली गयी थी, को बन्द करके फरार हो गये। दी गयी तहरीर के आधार पर कोतवाली बागेश्वर में मुकदमा दर्ज किया गया। प्रकरण का संज्ञान लेते हुए प्रीति प्रियदर्शिनी पुलिस अधीक्षक महोदया बागेश्वर द्वारा अभियुक्त की गिरफ्तारी हेतु प्रभारी कोतवाली बागेश्वर को आवश्यक दिशां-निर्देश दिये गये। अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु श्री महेश चन्द्र जोशी पुलिस उपाधीक्षक महोदय बागेश्वर के पर्यवेक्षण में व श्री मदन लाल प्रभारी कोतवाली बागेश्वर के नेतृत्व में पुलिस टीम का गठन किया गया। जांच में पाया गया कि उक्त सोसाइटी द्वारा बागेश्वर के अलावा राजस्थान में भी इस प्रकार का अपराध कर लोगों के साथ धोखाधड़ी की गयी। पुलिस टीम के अथक प्रयासों द्वारा अभियुक्त दीपक कुमार पुत्र गोपाल राम निवासी बेलकोट थाना- बेरीनाग, जिला- पिथौरागढ़ को गुरूवार को रोडवेज बस स्टेशन हल्द्वानी से गिरफ्तार किया गया । गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में एसएसआई मोहन चन्द्र पडलिया कोतवाली बागेश्वर,कानि0 आनन्द सिंह कां0 चंदन राम सर्विलांस सैल/एस0ओ0जी0 शामिल थे।

ऐसे झांसे मे लेते थे लोगों को
अर्थलैण्ड डेवलपर्स लिमिटेड(अर्थक्रेडिट सोसाइटी) के नाम पर सोसाइटी खोलकर स्थानीय लोगों को अपने भरोसे में लेकर एजेन्ट बनाते थे तथा विभिन्न प्रकार की योजनाओं जैसे- कम समय में अधिक ब्याज देने आदि का प्रलोभन दिया जाता था। कम समयावधि वाले कुछ खाताधारकों को उनके पैंसें अधिक ब्याज पर दिये जाते थे। जिससे अधिक से अधिक स्थानीय जनता इनके झांसे में आकर ज्यादा लाभ के फायदे में अपने खाते खोलते थे। इस प्रकार सोसाइटी के पास बड़ी मात्रा में धन इकट्ठा होने पर ये लोग सोसाइटी बन्द कर भाग जाते थे।