बड़ी खबर— कोसी इंटकवेल की निर्माण गुणवत्ता पर उठे सवाल, दीवारों में सीलन, फर्श पर दरार

मोटर लगाने व अन्य मैकेनिकल कार्य नहीं हो पाए शुरू अल्मोड़ा। लगता है कोसी बैराज में इंटक वेल का निर्माण के बाद अल्मोड़ा के लिए…

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मोटर लगाने व अन्य मैकेनिकल कार्य नहीं हो पाए शुरू

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अल्मोड़ा। लगता है कोसी बैराज में इंटक वेल का निर्माण के बाद अल्मोड़ा के लिए पर्याप्त जल का आश्वासन मीठी गोली साबित हो रहा है। चुनावी मुद्दा बन चुकी पेयजल समस्या को समस्या बनाए रखने में सरकार या उसकी मशीनरी अधिक दिलचस्पी ले रही है। कोसी नदी में बन रहे इंटक वेल का यदि आप निरीक्षण करेंगे तो यह दोनों बाते आप के जेहन में आएंगी। जिस इंटक वेल का निर्माण 2018 के अप्रेल तक पूरा कर सुचारू करने का दावा किया गया था वह अभी भी नहीं हो पाया है उल्टा इस अवधि में वेल निर्माण की गुणवत्ता ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बैराज में बने करीब 19 मीटर ऊंचा यह वेल जिसमे पांच मीटर का ऊपरी मंजिल पंपहाउस कार्य के लिए है केवल सफेद हाथी साबित हो रहा है। इस पूरी योजना को 10 करोड़ की लागत से बनना था। यह दावा किया गया था कि यहां से हर सीजन में पर्याप्त और साफ पानी मटेला फिल्टर प्लांट और उसके बाद नगर में पहुंचाया जाएगा। हालांकि लाईन भी अभी तक केवल मटेला पंप हाउस तक ही पहुंचाई गई है।

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कार्यदाई संस्था की लेटलतीफी और निर्माणकर्ता संस्था व ठेकेदार की लापरवाही के चलते यह कार्य समय पर पूरा नहीं हो पाया है। काम कब तक पूरा होगा यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन जितना काम हुआ है उसी पर सवाल उठने लगे हैं। बैराज के एक छोर पर बनाए गए इस ढांचे में कई पेंच हैं। इसके बेस में क्रैक आ गई है। बड़ी बड़ी दरारे बता रही है कि समय बीतने के साथ यह कितना असुरक्षित हो जाएगा क्योंकि इसी फर्श पर वजनदार पांच मोटरें स्थापित होनी है। इसके अलावा ढांचे की दीवारों पर सीलन है। कार्यस्थल पर मैकेनिकल कार्य करने वाली टीम पहुंच चुकी है लेकिन उन्हें अभी तक मोटर और अन्य मशीने स्थापित करने की परमिशन नहीं पहुंची है। क्योकि फर्श पर दरारे हैं उसे देख अभी कोई कार्य संभव नहीं हो सकता है। वहां मौजूद अनुभवी कर्मचारियों का कहना है कि फर्श पर दरार नहीं आने चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र में विद्युत चालित उपकरण लगने हैं यहां पानी भर गया तो बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।

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photo-uttranews-फोटो— फर्श पर आई दरार


पंपिग के दौरान पानी लीकेज होने की संभावना के चलते फर्श में ही एक हांदी भी बनाई गई है लेकिन उसमें भी दरार है। इसके बाद पूरे निर्माण कार्य में जब सवाल उठने शुरू हुए तो निर्माण संस्था ने यह तय किया कि इसके फर्श पर एक फिट मोटी सीसी राफ्ट और लगा दी जाय यानि मोटा फर्श डाला जाय। इसके लिए पूरे ढांचे की सतह दीवारों पर झि​र्रियां काटी जा रही हैं। निर्माण संस्था का मानना है कि राफ्ट डालने के बाद यह सुरक्षित हो जाएगा। लेकिन इसके लिए मैनपावर की कमी सामने आ रही है विभागीय कर्मियों ने बताया कि मजूदरों की संख्या काफी कम है। कभी भी वह काम रोक कर अन्यत्र चले जाते हैं। और ठेकेदार से बार बार कहे जाने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मौके पर ठेकदार का एक नियुक्त कर्मी मिला जो खुद का मुंशी बता रहा था। परंतु कार्यक्षेत्र में एक भी मजदूर नहीं मिला जो मरम्म्त कार्य में दिखे । यह जरूर है कि मैकेनिकल कार्य के मजदूर वहां मौजूद थे।

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फोटो— फर्श पर आई दरार

अब इस मुद्दे पर विपक्ष ने भी सरकार और प्रशासन पर सवाल उठाए हैं पूर्व विधायक मनोज तिवारी ने इसे अनियमितता बताते हुए मामले की पूरी जांच करने और दोषी अधिकारियों और ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इधर उत्तराखंड पेयजल निगम के अधिशासी अभियंता केडी भट्ट ने कहा कि डिजायनर की राय पर फर्श में एक और राफ्ट डाली जा रही है ताकि भविष्य में कोई शंका न रहे । उन्होंने कहा कि जल्द ही यह कार्य पूरा हो जाएगा।

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