सण्डे स्पेशल- अब लाख परोसे नहीं मिलने वाली पहाड़ की थाली में भांगा की चटपटी और स्वादिष्ट चटनी

औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है भांगा दाना ललित मोहन गहतोड़ी भांगा की चटनी यानि कि पहाड़ की तासीर वाली औषधीय खटाई। इसे सामान्य…

bhang ki chatni

औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है भांगा दाना


ललित मोहन गहतोड़ी

भांगा की चटनी यानि कि पहाड़ की तासीर वाली औषधीय खटाई। इसे सामान्य तौर पर व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के लिए रोटी, चावल, तरकारी और सलाद के साथ परोसा जाता रहा है। धीरे धीरे अब आम आदमी की थाली से यह चटनी गायब होती जा रही है। भांगा के गूदों को पीसकर बनी चटनी के आयुर्वेदिक फायदे भी हैं। ठंड में भांग दाने की चटनी शरीर को गर्म और गर्मी में ठंडी तासीर देने वाली पारंपरिक चीज बताई गई है।

जब से सरकारी आदेश के चलते काली कुमाऊं सहित अन्य जगहों पर राजस्व और पुलिस विभाग की ओर से छापेमारी अभियान चलाया गया है तब से यहां ग्रामीणों ने अपने खेतों में भांगा उगानी ही बंद कर दी है। जब भांग ही पैदा नहीं हो रही तो भांगा की चटनी का तो विलुप्त हो जाना लाजिमी है। देर सवेर जब लोगों को भांग के उपयोग की सही जानकारी मिल सकेगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। और भांगा का यहां पैदा किया जा रहा मोटे गूंदे का पारंपरिक बीज लुप्त हो चुका होगा। इसके साथ ही औषधीय पारंपरिक पौधा भांग भी कल्पना मात्र जेहन में होगा।

भांगा का पेड़ उगने से लेकर बीज तैयार होने तक किसान से बहुत मेहनत मांगता है। चटनी के रूप में प्रयोग करने के लिए पूरी तरह से तैयार भांग के दानों को छांट सुखा कर अलग कर दिया जाता है। इन दानों को पीसकर इसमें नमक, हरी मिर्च, हरा पुदीना, हरा धनिया और नींबू का रस मिलाकर इसकी चटनी बनाई जाती है जिसे रोटी के साथ बहुत चाव से खाया जाता है। बताया जाता है कि भांग में रक्त दाब (बीपी) नार्मल रखने सहित कई अन्य औषधीय गुण भी मौजूद हैं जिन पर शोध होना अभी शेष है। बहुउपयोगी भांग के पौधे की हर एक चीज को कुछ ना कुछ काम में लाया जाता है। मसलन भांगा के गूदों से चटनी, डंठल के अंदर फाइबर से गर्म कपड़े, डंठल से निकले लोद से मजबूत रस्सी और शेष बची लकड़ी को चूल्हे में आग जलाकर दो जून रोटी पकाने के काम में लिया जाता है।

औसतन परिवारों के लिए सब्जी का भी काम करती है भांग की चटनी
भांगा दानों को अनेक तरह से काम में लाया जाता है। भांग की चटनी, भांग का नमक और अरबी, गडेरी की सब्जी में भांगा के दानों का रस। औसतन गरीब परिवारों के लोगों के लिए भांग की चटनी ही किसी सब्जी से बढ़कर है। कालांतर से समाज में पसरी गरीबी के कारण रूखी सूखी रोटी में भांग की चटनी या भांग का नमक रोल कर बड़े चाव से खाया जाता रहा है। ऐसे में महज पानी के साथ रोटी निगलनी अब गरीबों की मजबूरी बन गई है और गरीब की थाली का उपहास भी।

खेती बंद करने के निर्देश सख्त गरीब त्रस्त

भांगा का उपयोग खटाई के अलावा मादक पदार्थ के रूप में भी सामने आया है। भोले की बूटी नाम से मशहूर भांग के पत्तों को मलकर बनी चरस का व्यापार रोकने के लिए शासन की ओर से समय समय पर जागरूकता और छापामारी का अभियान चलाया जाता रहा है। इसके अलावा खबर मिलने पर किसानों के खेतों में जाकर उग रही खेती नष्ट कर दोबारा भांग की खेती नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं। और किसान मूक सहमा सा इस नारकोटिक्स डिपार्टमेंट की टीम को बिना चटनी रोटी परोसी थाली दिखाने से घबरा रहा है।