महाकुंभ में श्रद्धालुओं की अप्रत्याशित रूप से बढ़ती संख्या ने प्रयागराज की यातायात और प्रशासनिक व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। सड़कों पर कई किलोमीटर लंबे जाम की वजह से लोगों को घंटों तक परेशानी झेलनी पड़ रही है, वहीं रेलवे स्टेशनों पर भी भीड़ बेकाबू होती जा रही है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रयागराज संगम रेलवे स्टेशन को बंद करना पड़ा। सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस भारी भीड़ के लिए पहले से तैयार नहीं था?
स्नान पर्वों के दौरान जो विशेष यातायात और पार्किंग व्यवस्थाएँ लागू की गई थीं, उन्हें सामान्य दिनों में भी जारी रखना आवश्यक था। शहर के अंदर निजी वाहनों के प्रवेश को नियंत्रित कर शटल बसों और सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी। इसके अलावा, रेलवे प्रशासन को भीड़ को संभालने के लिए अतिरिक्त ट्रेनों और बेहतर प्लेटफॉर्म प्रबंधन की व्यवस्था करनी चाहिए थी।
तकनीकी समाधान भी इस संकट को कम करने में सहायक हो सकते थे। श्रद्धालुओं को डिजिटल माध्यमों से लाइव ट्रैफिक अपडेट देकर वैकल्पिक मार्ग सुझाए जा सकते थे। आपातकालीन राहत शिविरों, भोजन-पानी की व्यवस्था और मेडिकल सहायता भीड़ में फंसे लोगों के लिए जरूरी थी। अब जब स्थिति बिगड़ चुकी है, प्रशासन को चाहिए कि वह तत्काल ठोस कदम उठाए ताकि आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं को और अधिक कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।