Almora- वृद्ध जागेश्वर मंदिर के ऐतिहासिक बैसाखी मेले का आगाज

14 अप्रैल 2021 अल्मोड़ा। रीठागाड़ पट्टी की आस्था के प्रतीक वृद्ध जागेश्वर मंदिर अल्मोड़ा almora के ऐतिहासिक बैसाखी मेले का आगाज विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह…

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14 अप्रैल 2021

अल्मोड़ा। रीठागाड़ पट्टी की आस्था के प्रतीक वृद्ध जागेश्वर मंदिर अल्मोड़ा almora के ऐतिहासिक बैसाखी मेले का आगाज विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने किया। चौहान ने कहा कि यह मेला हमारी आस्था और विरासत का अनूठा समागम है। मेले में स्थानीय रीठागाड़ पट्टी के दर्जनों गांवों के ग्रामीणों के अलावा पर्यटकों ने भी शिरकत की। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण कर कोरोना से मुक्ति की कामना की।

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बताते चलें कि वृद्ध जागेश्वर में शिव के विष्णु स्वरूप का वैदिक विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है। यह आस्था का केंद्र बाॅज एवं बुराॅश के घने सुरम्य वादियों के बीच तकरीबन साढ़े तीन हजार की ऊचाई पर स्थित है। इस ऐतिहासिक स्थल से कैलाश पर्वत, ओम पर्वत, चैखम्बा, पंचाचूली नंदाकोट, कामेट, नंदादेवी समेत आधा दर्जन से अधिक हिमालयी श्रेणियां साफ दिखाईं देती है।

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यहाॅ साल भर देश ही नहीं विदेशी पर्यटक भी हजारों की संख्या में आदि पर्वत श्रेणियों के दीदार करने पहॅुचते हैं। जो ना केवल हिमालय के विहंगम दृश्य के साक्षी बनते हुए बल्कि, प्रकृति के स्वच्छ एवं सुरम्य वादियों की आबोहवा लेकर सुकून महशूस करते है। वृद्ध जागेश्वर का सुप्रसिद्ध बैसाखी मेला यहाॅ की 13 वीं सदी से चली आ रहीं पुरातन संस्कृति एवं विरासत का द्योतक रहा है। यह मेला खासतौर पर भोटिया जनजाति के व्यापार से जुड़ा हुआ था। लेकिन, आधुनिकता की चका चैंक ने मेले के स्वरूप परिवर्तन ला दिया है। आज भी यह मेला रीठागाड़ पट्टी के सैकड़ों गांवों के ग्रामीणों की विशेष आस्था का केंद्र है।


वृद्ध-जागेश्वर मंदिर समिति के प्रबधंक नंदाबल्लभ भट्ट ने बताया कि इस बार कोरोना की गाइडलाईन का अनुपालन करते हुए स्थानीय लोगों एवं ग्रामीणों से मेले में शिरकत करने की अपील की थी। बताया कि इस बार कोरोना के चलते मेले में प्रशासन की मदद से भीड़ एकत्रित नहीं होनी दी है। मेले में इस बार कोरोना के चलते ग्रामीणों एवं पर्यटकों की आवाक अन्य सालों की तुलना में कम ही देखने को मिली। भट्ट ने बताया कि मंदिर समिति के सदस्यों एवं पदाधिकारियों ने मंदिर में दर्शन करने वालों को भी चरणबद्ध तरीके से मंदिर परिसर में बारी बारी से दर्शन कराने की व्यवस्था की गई।

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इस मौके पर पूरन चंद्र भट्ट, उर्वादत्त भट्ट, हरीश भट्ट, गोपाल भट्ट, प्रताप सिंह बाणी, कृष्णानंद, भुवन भट्ट, राजेद्र सिंह राणा आदि मौजूद रहे। उल्लेखनीय है कि पिछले साल कोरोना के चलते मेले का आयोजन महज रश्म अदायगी तक ही सीमित रहा था। तब पहली बार बैसाखी मेले का आयोजन पहली बार रद्द कर दिया गया था।

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