बागेश्वर की 61 साल पुरानी नगर पालिका, किसकी होगी ताजपोशी

बागेश्वर सहयोगी। बागेश्वर में नगर पालिका का इतिहास करीब 61 साल से भी अधिक पुराना है। भले ही इसे नगर पालिका दर्जा 1968 में मिला…

बागेश्वर सहयोगी। बागेश्वर में नगर पालिका का इतिहास करीब 61 साल से भी अधिक पुराना है। भले ही इसे नगर पालिका दर्जा 1968 में मिला हो लेकिन 1957 में ही इसे शहर के तौर पर विकसित करने के प्रयास शुरू हो गये थे। खास बात है कि 61 सालों में केवल दो महिलाओं को अध्यक्ष बनने का मौका मिला है। महिला सशक्तीकरण की बातें कहने वाले दलों ने भी अध्यक्ष पद पर महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारने से परहेज किया है।

बागेश्वर नगर पालिका बनने के बाद पहले अध्यक्ष के तौर पर नाथलाल साह की ताजपोशी हुई। इसके बाद हर पांच साल चुनाव होते गये और अब तक 11 जनप्रतिनिधि अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। जिनमें से दो कार्यवाहक अध्यक्ष भी रहे। इस साल बागेश्वर नगर पालिका का 12वां निकाय चुनाव है। इससे पहले महिला आरक्षित सीट और अब सामान्य सीट होने के कारण दावेदारों की संख्या इस बार अधिक है। इतिहास पर गौर करें तो 1968 से अब तक पालिका अध्यक्ष पर केवल दो बार ही महिलाओं को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला जबकि 9 बार पुरूषों को अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गयी। 2006 में पालिका अध्यक्ष रमेश जौहरी की हत्या के बाद उनकी धर्मपत्नी रश्मि जौहरी ने चुनाव लड़ा और बहुमत हासिल कर पालिका अध्यक्ष का कार्यभार संभाला। रश्मि ने पालिका में 38 साल पुराने पुरूषों के वर्चस्व को तोड़कर अपनी जगह बनायी। 2013 में पालिका की सीट महिला आरक्षित हो गयी जिसमें कांग्रेस की गीता रावल नगर पालिका अध्यक्ष चुनी गयी।

2018 में 12वें पालिका चुनाव पूरे चरम पर है। दीपावली की शुभकामनाओं के साथ वोट का आर्शीवाद भी उम्मीदवार जनता से मांग रहे हैं। इस बार नगर पालिका अध्यक्ष पद सामान्य है लिहाजा 7 उम्मीदवार मैदान में हैं इनमें से एक महिला ने भी दावेदारी की है। अब देखना होगा कि जनता किस पर भरोसा जताती है।

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