डेस्क। उत्तराखंड शिक्षा विभाग के लिए सुप्रीम कोर्ट से राहत की खबर है। प्रदेश में गेस्ट टीचरों की भर्ती पर लगी रोक हटा दी है। जिससे गेस्ट टीचरों की तैनाती का रास्ता साफ हो गया है।
वर्ष 2018 में प्रदेश सरकार ने स्थायी शिक्षकों की तैनाती होने तक सरकारी स्कूलों में गेस्ट टीचरों की नियुक्ति किए जाने का मन बनाया था और प्रदेशभर में 5 हजार अतिथि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी थी। जिसमें 4200 प्रवक्ता 800 सहायक अध्यापकों की तैनाती होनी थी। बकायदा टिहरी, हरिद्वार और चंपावत जिले में कुछ उम्मीदवारों को तैनाती पत्र भी दे दिए गए। जबकि प्रदेश के अन्य जनपदों में इसकी प्रक्रिया चल रही थी।
इस दौरान स्थायी नियुक्ति की मांग को लेकर कई याचिका हाईकोर्ट में डाली गई। जिसके बाद हाईकोर्ट ने गेस्ट टीचर भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी। हालांकि बाद में स्थायी भर्ती होने तक गेस्ट टीचरों की नियुक्ति को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार को रियायत दे दी थी।
लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अतिथि शिक्षकों का एक धड़ा सुप्रीम कोर्ट चले गया। सुप्रीम कोर्ट ने गेस्ट टीचरों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। लेकिन बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने गेस्ट टीचरों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक हटा दी है जिससे गेस्ट टीचरों की तैनाती का रास्ता साफ हो गया है। इस फैसले के बाद प्रदेश सरकार ने भी राहत की सांस ली है।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि इस फैसले के बाद अब स्कूलों में प्रर्याप्त शिक्षक उपलब्ध हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि स्थायी भर्ती को भी जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने उत्तराखंड सरकार की ओर से केस लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और उप महाधिवक्ता विनय अरोड़ा का आभार जताया है।
शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने कहा कि प्रदेश में लगभग चार हजार प्रवक्ता और आठ सौ गेस्ट टीचरों का चयन पूर्व में हो चुका है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से रोक होने से इन्हें स्कूलों में तैनाती नहीं दी जा सकी थी। कोर्ट का फैसला मिलते ही आदेश के अनुसार गेस्ट टीचरों की तैनाती की जाएगी।
गौरतलब है कि प्रदेशभर में सरकारी माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों के हजारों पद रिक्त चल रहे है जिस कारण शिक्षा व्यवस्था दिनों दिन चौपट होती जा रही है। आलम यह है कि स्कूलों में भाषाई विषय तक के शिक्षकों की कमी बनी हुई है इसके अलावा कई महत्वपूर्ण विषयों के पद रिक्त चल रहे है। जिससे सबसे अधिक छात्र—छात्राओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है छात्र—छात्राएं बिन शिक्षकों के अपना भविष्य संवारने के लिए मजबूर है।
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