“बेबी तू आया नहीं मुझे लेने, तू बोल कर गया था कि मैं तुझे लेने आऊंगा” — शहीद पायलट सिद्धार्थ के ताबूत से लिपट कर रोती रहीं मंगेतर सोनिया, बोलीं: प्लीज़ एक बार उनका चेहरा दिखा दो

गुजरात के जामनगर में 2 अप्रैल को हुए जगुआर फाइटर प्लेन हादसे में शहीद हुए 28 वर्षीय फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव को उनके पैतृक गांव…

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गुजरात के जामनगर में 2 अप्रैल को हुए जगुआर फाइटर प्लेन हादसे में शहीद हुए 28 वर्षीय फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव को उनके पैतृक गांव भालखी माजरा, रेवाड़ी में शुक्रवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। जब उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो माहौल शोक में डूब गया। हर आंख नम थी और हर चेहरा गमगीन। गांव की गलियों से होते हुए जैसे ही उनकी अंतिम यात्रा निकली, लोग घरों की छतों और रास्तों पर उमड़ पड़े। ‘सिद्धार्थ अमर रहे’ के नारों के बीच पूरे गांव ने नम आंखों से अपने बेटे को अंतिम विदाई दी।

अंतिम संस्कार के समय शहीद के पिता सुशील यादव ने कांपते हाथों से अपने बेटे को मुखाग्नि दी। भारतीय वायुसेना की टुकड़ी ने सम्मान स्वरूप हथियार उल्टा कर तीन राउंड फायरिंग की और अपने वीर साथी को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह क्षण न सिर्फ उनके परिजनों के लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए बेहद भावुक था। सिद्धार्थ ने सिर्फ एक बहादुर पायलट के रूप में नहीं, बल्कि अंतिम समय में अपने साथी की जान बचाकर एक सच्चे योद्धा के रूप में अपनी वीरता की छाप छोड़ी।

श्मशान घाट पर उस समय भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा, जब सिद्धार्थ की मंगेतर सानिया उनके पार्थिव शरीर के पास पहुंचीं। ताबूत के पास खड़ी होकर उनकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे और कांपती आवाज़ में उन्होंने कहा, “बेबी, तू आया नहीं मुझे लेने… तू बोलकर गया था कि मैं तुझे लेने आऊंगा।” यह दृश्य इतना मार्मिक था कि वहां खड़े वायुसेना के जवान भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। सानिया बार-बार बस यही कहती रहीं कि एक बार उनका चेहरा दिखा दो। उन्होंने कहा कि उन्हें सिद्धार्थ पर गर्व है, लेकिन यह हादसा उनके सारे सपनों को तोड़ कर चला गया। उनकी सगाई इसी साल 23 मार्च को हुई थी और 2 नवंबर 2025 को शादी तय थी, जिसकी तैयारियां घर में शुरू भी हो चुकी थीं। मगर नियति ने कुछ और ही लिखा था।

सिद्धार्थ के माता-पिता के लिए यह क्षति असीम थी, फिर भी उन्होंने गर्व के साथ अपने बेटे को विदाई दी। उनके पिता सुशील यादव ने कहा कि सिद्धार्थ का सपना था कि वह एक दिन वायुसेना प्रमुख बनकर लौटे। यह सपना अब अधूरा रह गया, लेकिन उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ दी। उनकी मां सुशीला यादव ने आंखों में आंसू लिए कहा कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। उन्होंने देश की सभी माताओं से अपील की कि वे अपने बेटों को सेना में भेजें, क्योंकि देश की सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं।

सिद्धार्थ ने 2017 में वायुसेना जॉइन की थी और 31 मार्च को ही छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटे थे। किसे पता था कि यह उनकी आखिरी मुलाकात होगी। उनकी शहादत से न केवल परिवार, बल्कि पूरा राष्ट्र गर्व और शोक के भावों से एक साथ भर गया है।