राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास का बुधवार 12 फरवरी को निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे और ब्रेन स्ट्रोक के कारण उनकी तबीयत बिगड़ गई थी, जिसकी वजह से उन्हें रविवार को लखनऊ के SGPGI में भर्ती कराया गया था।
उन्हें मधुमेह और उक्त रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य की बीमारियां भी थी। अस्पताल द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया कि अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने आज अंतिम सांस ली है। बताया जा रहा है कि उन्हें 3 फरवरी को ब्रेन स्ट्रोक आया था जिसके कारण उन्हें न्यूरोलॉजी वार्ल्ड में एचडी में भर्ती कराया गया था और उनकी हालत काफी गंभीर भी थी।
महंत सत्येंद्र दास 6 दिसंबर 1992 को अस्थाई राम मंदिर के पुजारी नियुक्त किए गए थे, जब बाबरी मस्जिद गिराई गई वह राम मंदिर के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्य पुजारी थे। महज 20 वर्ष की उम्र में उन्होंने आध्यात्मिक जीवन को अपनाने का निर्णय लिया था। उनका सम्मान न केवल अयोध्या में बल्कि उससे आगे भी बड़े स्तर पर किया जाता था।
निर्वाणी अखाड़े से जुड़े महंत सत्येंद्र दास अयोध्या के सबसे सुलभ संतों में से एक थे। वे राम मंदिर अयोध्या से जुड़ी जानकारी चाहने वाले मीडिया कर्मियों के लिए हमेशा उपलब्ध रहते थे, जब 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिराए गया तब उन्होंने मुख्य पुजारी के रूप में सेवा शुरू की।
इस घटना ने भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव ला दिया लेकिन दास ने हमेशा राम मंदिर आंदोलन और इससे जुड़े सवालों का धैर्यपूर्वक उत्तर दिया। विध्वंस के बाद भी वे मुख्य पुजारी के रूप में बने रहे और जब रामलला की मूर्ति अस्थायी तंबू में स्थापित की गई तो उन्होंने वहां नियमित पूजा-अर्चना की।