अवनि की गोल्डन जीत और मोना का कांस्य: पैरालंपिक में भारत का धमाका

दिल्ली से आई एक शानदार खबर ने पूरे देश को गर्व से भर दिया है। पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय खिलाड़ियों ने कमाल कर दिखाया…

Avni's golden win and Mona's bronze: India's blast in Paralympics

दिल्ली से आई एक शानदार खबर ने पूरे देश को गर्व से भर दिया है। पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय खिलाड़ियों ने कमाल कर दिखाया है। राजस्थान की 22 वर्षीय शूटर अवनि लखेरा ने 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर नया इतिहास रच दिया है। उनकी इस जीत ने न सिर्फ पूरे देश का नाम रोशन किया है, बल्कि हर उस व्यक्ति को प्रेरणा दी है जो कभी मुश्किलों से हताश हो जाता है। अवनि ने फाइनल में 249.7 अंक हासिल किए, जो कि एक पैरालंपिक रिकॉर्ड भी है।

10 साल की उम्र भंयकर एक्सीडेंट,लेकिन नही मानी हार,अब पैरालंपिक में जीता गोल्ड
अवनि लखेरा का सफर किसी प्रेरणादायक कहानी से कम नहीं है। साल 2012 में शिवरात्रि के दिन जब वह सिर्फ 10 साल की थीं, तब एक भयानक कार दुर्घटना ने उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। इस हादसे में उन्हें पैरालिसिस हो गया और वह चलने-फिरने से मोहताज हो गईं। लेकिन अवनि ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी मजबूती और संकल्प के साथ शूटर बनने का फैसला किया और आज उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का फल पूरे देश के सामने है।


इस गोल्ड मेडल के साथ, अवनि ने दिखा दिया कि इंसान की इच्छाशक्ति और मेहनत के आगे कोई भी बाधा टिक नहीं सकती। उनकी इस ऐतिहासिक जीत ने न सिर्फ भारत को गौरवान्वित किया है, बल्कि उन्होंने लाखों लोगों को यह संदेश दिया है कि अगर आप ठान लें, तो कुछ भी असंभव नहीं है। अवनि की यह जीत सिर्फ एक मेडल नहीं है, यह उनकी जीवन की जंग का वो फल है, जिसने उन्हें एक सच्ची योद्धा बना दिया है।

पोलियो को मात देकर मोना ने पैरालंपिक में जीता कांस्य, बनीं सभी की प्रेरणा
लेकिन यही नहीं, इस इवेंट में भारत की मोना अग्रवाल ने भी अपनी मेहनत और जज्बे से कांस्य पदक जीतकर देश का नाम ऊंचा किया है। 37 वर्षीय मोना, जो पोलियो से पीड़ित हैं, ने पहली बार पैरालंपिक खेलों में भाग लिया और अपनी अद्भुत प्रदर्शन से सभी को चौंका दिया। मोना ने दिखा दिया कि उम्र और शारीरिक बाधाएं किसी की सफलता की राह में रुकावट नहीं बन सकतीं। उन्होंने इस कांस्य पदक को जीतकर सभी महिलाओं के लिए एक मिसाल कायम की है।


मोना का यह सफर भी कम प्रेरणादायक नहीं है। पोलियो जैसी बीमारी से जूझते हुए भी उन्होंने अपने सपनों का पीछा किया और आज वह उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो किसी न किसी मुश्किल से लड़ रहे हैं। मोना की जीत ने यह साबित कर दिया है कि सपनों को पूरा करने के लिए केवल मजबूत इरादों और मेहनत की जरूरत होती है।


अवनि लखेरा और मोना अग्रवाल की यह शानदार उपलब्धियां पूरे देश के लिए गर्व का विषय हैं। इन दोनों खिलाड़ियों ने न सिर्फ मेडल जीते हैं, बल्कि उन्होंने यह भी दिखाया कि​ जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें आएं,लेकिन हिम्मत और मेहनत से काम लिया जाए तो कुछ भी नामुमकिन नही है।