बहुत काम का है अविपत्तिकर चूर्ण, बता रहे है डॉ अवनीष उपाध्याय

पेप्टिक अल्सर सहित सभी प्रकार के पित्त रोगों में उपयोगी विभिन्न क्लिनिकल ट्रायल्स में अविपत्तिकर चूर्ण के उपयोग को अल्सर स्कोर, अल्सर हीलिंग, गैस्ट्रिक इरिटेंसी…

Avipattikar Churn is very useful

पेप्टिक अल्सर सहित सभी प्रकार के पित्त रोगों में उपयोगी

विभिन्न क्लिनिकल ट्रायल्स में अविपत्तिकर चूर्ण के उपयोग को अल्सर स्कोर, अल्सर हीलिंग, गैस्ट्रिक इरिटेंसी इंडेक्स और पीएच को कम करने में रैनिटिडीन की तरह ही प्रभावी पाया गया है, साथ ही इससे प्रयोग से गैस्ट्रिक टिश्यू के हिस्टोपैथोलॉजिकल मूल्यांकन में भी बेहतर परिणाम मिले हैं। इसके प्रमुख घटक हरीतकी, मरिच और पिप्पली का गैस्ट्रिक म्यूकोसा पर साइटोप्रोटेक्टिव प्रभाव यानि सतह की रक्षा करने वाला प्रभाव पाया गया है। अविपत्तिकर चूर्ण मुख्य रूप से विवन्ध, अपचन, अम्लपित्त और इससे होने वाले पेप्टिक अल्सर और ड्यूओडनल अल्सर में प्रयोग किया जाता है।

अविपत्तिकर चूर्ण, निम्नलिखित जड़ी बूटियों एव अलग-अलग घटकों के मिश्रण से बनता है, जो अपने चिकित्सकीय प्रभावों से एक प्रभावी औषधि का निर्माण करते हैं:

  1. शुंठी (ज़िंगिबर ऑफ़िसिनेल): शुंठी गैस्ट्रिक स्राव को कम करता है, म्यूकोसल प्रतिरोध को बढ़ाता है और गैस्ट्रिक म्यूकोसा के रक्षात्मक कारकों को प्रबल करता है। पाचन क्रिया को सुधारने व खाने को ठीक से अवशोषित करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
  2. मरिच (पाइपर नाइग्रम): काली मिर्च गैस्‍ट्रिक गतिशीलता को कम कर दस्‍त के लक्षणों को नियंत्रित करने एवं पाचन क्रिया को सुधारने व खाने को ठीक से अवशोषित करने में सहायक होता है
  3. पिप्पली (पाइपर लोंगम): पिप्पली संक्रमण के कारण होने वाली सूजन को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्यों में मदद करते हैं।
  4. हरीतकी (टर्मिनलिया चेबुला): हरड़ ब्‍लड शुगर लेवल को नियंत्रित कर डायबिटीज़ से बचने और पाचन क्रिया को बेहतर करने में मदद करते हैं। यह कब्ज में मल त्याग की क्रिया को उत्तेजित और सुधार करने वाले गुणों से युक्त होता है।
  5. विभीतक (टर्मिनलिया बेलेरिका): बहेड़ा दस्त के लक्षणों को ठीक करने और प्रभावित ऊतक को संकुचित करके रक्तस्त्राव को कम करने में सहायक होता है।
  6. आमलकी (एम्ब्लिका ऑफिसिनैलिस): आंवले में पाए जाने वाले औषधीय गुण भूख बढ़ाने में मददगार और पाचन में सुधार करते हैं और भोजन के अवशोषण में सहायता व शरीर में गैस्ट्रिक रस के स्राव को बढ़ाने में मदद करने हैं।
  7. मुस्ता (साइपरस रोटुंडस): नागरमोथा सूजन को कम करने, फ्री रेडिकल्‍स की सक्रियता को कम करने व उनके शरीर के प्रति हानिकरक प्रभाव को रोकने का कार्य करता है।
  8. विडंग (एम्बेलिया रिब्स): विडंग चोट लगने के बाद सूजन को कम करने में सहायक होता है।
  9. तेजपत्र (सिनामोमम तमाला): तेज पत्ता पेट की गैस या पेट फूलने की समस्या को कम करने व पाचन क्रिया को बेहतर करने में सहायक होता है।
  10. लवंग (सिज़गियम एरोमैटिकम): लवंग बेसल गैस्ट्रिक म्यूकोसल रक्त प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है और यह म्यूकस स्राव को बढ़ाता है। लौंग सूजन को कम करते हैं और सूक्ष्म जीवों को बढ़ने से रोकने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
  11. एला (अमोमम सबुलटम): इलायची में मौजूद इसेंशियल ऑयल गैस्ट्रिक म्यूकोसा को मजबूत करता है।
  12. निशोथ (ऑपरकुलिना टेरपेथम): शरीर से विष निकालने और आंतों के विषाक्त प्रभाव को दूर करने में निशोथ सहायक होता है।
  13. नमक (विड लवण): पाचन बढ़ाने वाला तथा भूख कम होने में उपचार के काम आता है।
  14. शर्करा: चीनी ऊर्जा का उत्कृष्ट स्रोत है। जब शर्करा रक्त में जाती है, तब यह ग्लूकोज में बदल जाती है और यह कोशिकाओं द्वारा अवशोषित होती है, जो ऊर्जा पैदा करने में मदद करती है।
    डॉक्टर की सलाह के बगैन ना ले अविपत्तिकर चूर्ण
    गर्भवती महिलाएं, स्तनपान करने वाली महिलाएं, बच्चों को देने से पहले सर्तकता बरतनी बेहद जरूरी है और सेवन से पूर्व किसी चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
    अविपत्तिकर चूर्ण की आधा से एक चम्मच की मात्रा सामान्य जल से दिन में दो बार खाने से आधे घंटे पूर्व या बाद में ले सकते हैं। कब्ज को दूर करने के लिए एक चम्मच पाउडर रात को सोते समय गुनगुने पानी से भी लिया जा सकता है।
    डॉ अवनीश उपाध्याय, पीएचडी (आयुर्वेद)
    प्रभारी चिकित्साधिकारी
    पीपली, पिथौरागढ़