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ग्राम्या परियोजना का किसानों की आय वृद्धि पर प्रभाव का किया जाएगा आंकलन, लाभदायक फसलों का होगा चयन, मुख्य परियोजना निदेशक जलागम प्रबंधन डा.भूपिन्दर कौर औलख ने दिए निर्देश

Newsdesk Uttranews
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देहरादून। उत्तराखण्ड विकेन्द्रीकृत जलागम विकास परियोजना फेज-2 (ग्राम्या) की समीक्षा करते हुए मुख्य परियोजना निदेशक, जलागम प्रबंधन, डा.भूपिन्दर कौर औलख ने आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इस दौरान ग्राम्या के कार्यों की आय वृद्धि पर प्रभाव का आंकलन करने, प्रत्येक प्रभाग में फार्मर फील्ड स्कूल स्थापित किये जाने, एग्रो क्लाईमेटिक जोन को ध्यान में रखते हुए लाभदायक फसलों व फलों को चिन्हित किया जाने तथा बेम्बू बिल्डिंग को बढ़ावा दिए जाने के निर्देश दिए गए।

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डा. औलख ने परियोजना द्वारा कृषकों को हो रहे लाभ में परियोजना पूर्व एवं परियोजना उपरान्त का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। परियोजनान्तर्गत निर्बल वर्ग के लिए की जा रही आय-अर्जक गतिविधियों का विश्लेषण करें कि किस प्रभाग में किस गतिवधि के द्वारा सर्वाधिक आय प्राप्त हो रही है। ताकि उस गतिविधि को अधिक फोकस किया जाए। जिन परियोजना क्षेत्रों में लघु सिंचाई विभाग की क्षतिग्रस्त सिंचाई परिसम्पत्तियों में सुधार हेतु धनराशि/सहायता की आवश्यकता है। ऐसे ग्रामों की योजनावार सूचना से अवगत करायें। डा. औलख ने निर्देशित किया कि स्कूल, कॉलेज, आंगनवाड़ी, सरकारी कार्यालय एवं खाली भूमि इत्यादि में पौधारोपण किया जाए। स्कूली छात्रों को भी जलागम अवधारणा से जोडने के प्रयास किए जाएं। जीओ मेम्ब्रेन टैंक की लाभदायकता को देखते हुए उनके निर्माण पर विशेष बल दिया जाय। बेम्बू बिल्डिंग को बढावा दिया जाय।

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सामूहिक फलोद्यान में इंटर क्रापिंग पर विशेष ध्यान दिया जाए। परियोजनान्तर्गत अल्मोडा प्रभाग में गठित बीज उत्पादक संघ द्वारा उत्पादित प्रमाणित बीजों के उत्पादन/आपूर्ति/विपणन के लिए विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया जाए। एक्नेशिया पुष्पों के उत्पादन को अन्य प्रभागों में बढावा देने हेतु बाजार सर्वेक्षण कर केस स्टडी तैयार की जाय। एग्रो क्लाईमेटिक जोन को ध्यान में रखते हुए अपने क्षेत्रान्तर्गत अधिक लाभदायक फसलों एवं फलों को चिन्हित किया जाए।

बैठक में प्रभागों में कार्यरत एबीएसओ और एफएनजीओ द्वारा कृषि व्यवसाय और सामाजिक संचेतना के अन्तर्गत किये जा रहे कार्यों का विस्तृत प्रस्तुतिकरण किया गया। प्रस्तुतिकरण करने वाले एबीएसओ और एफएनजीओ मेंं सोसायटी फोर उत्तरांचल डेवलपमेंट एंड हिमालयन एक्शन, एबीएसओ पिथौरागढ़ व बागेश्वर, हिमालयन एनवायरमेंट लिवलीहुड प्रोग्राम, एबीएसओ पौड़ी, एप्रोप्रियेट टेक्नोलोजी इंडिया, एबीएसओ थत्यूड़ टिहरी, सोसायटी ऑफ पिपुल फॉर डेवलपमेंट, एबीएसओ, विकासनगर, एशियन सोसायटी फॉर एंटरप्रिन्यूरशिप एजुकेशन एंड डेवलपमेंट, एफएनजीओ रूद्रप्रयाग, सोसायटी ऑफ पिपुल फॉर डेवलपमेंट, एफएनजीओ गढ़वाल शामिल थे।

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