जैसे ही दूल्हा चढ़ा घोड़ी तो तीन थानों की पुलिस ने घेर लिया पूरा गांव, बाराती और घराती से ज्यादा हो गए पुलिसवाले

अलवर से सटे खैरथल जिले के कोटकासिम थाना इलाके में स्थित लाहडोद गांव में एक दलित दूल्हे को खुशी खुशी घोड़ी पर बैठाने के लिए…

As soon as the groom mounted the horse, the police of three police stations surrounded the entire village, there were more policemen than the baraatis and gharaatis

अलवर से सटे खैरथल जिले के कोटकासिम थाना इलाके में स्थित लाहडोद गांव में एक दलित दूल्हे को खुशी खुशी घोड़ी पर बैठाने के लिए तीन थानों की पुलिस और डीएसपी खुद पहुंचे। इससे पूरा गांव छावनी बन गया। शादी में बराती और घराती से ज्यादा पुलिस वाले शामिल हुए।

इस गांव में पहली बार दलित दूल्हा घोड़ी पर चढ़ा था इसके बाद पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच दलित दूल्हे की बिंदौली निकाली गई। बिंदौली शांतिपूर्वक संपन्न हो जाने से पुलिस प्रशासन राहत की सांस ली।

पुलिस का कहना है कि दूल्हे आशीष और उसके परिजनों ने इसको लेकर एक अर्जी दी थी जिसमें उन्होंने बताया था कि आशीष की शादी होनी है। गुरुवार रात को उसके निकासी होनी है। उनका कहना था कि उन्हें डर है कि गांव के दबंग आशीष को घोड़े पर बैठने नहीं देंगे। वह इसे लेकर बवाल करेंगे।

लिहाजा उन्हें पुलिस की सुरक्षा दी जाए। इस पर कोटकासिम थानाधिकारी नंदलाल जागिड़, किशनगढ़बास थानाधिकारी जितेंद्र सिंह और भिवाड़ी एसएचओ सीआईडी सीबी इंचार्ज प्रीति राठौड़ के साथ भारी पुलिस जाब्ता लाहड़ाद गांव पहुंचा। इसके साथ ही तीन पुलिस उपाधीक्षक भी वहां पहुंचे।

बताया जा रहा है कि गांव में पहली बार कोई दलित दूल्हा अपनी शादी में घोड़ी पर बैठा है। यह भी कहा जा रहा है कि इस दूल्हे की बहन की कुछ साल पहले शादी हुई थी तब दबंगो के डर से दूल्हा पैदल ही गांव में आया था। इसके बाद आशीष ने ठान लिया था कि वह अपनी शादी में घोड़ी पर बैठेगा।

हालांकि उसे डर था कि बवाल हो सकता है इसलिए उसने कोटकासिम थानाधिकारी नंदलाल जांगिड़ को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए लिखित अर्जी दी थी।

राजस्थान के कई गांव में आज भी दबंग के डर से दलित दूल्हे शादी में घोड़ी पर नहीं बैठते हैं लेकिन अब बदलाव आने लगा है। बीते दिनों बाड़मेर अजमेर में ऐसे मामले सामने आए जब राजपूत समाज ने दलित समाज के लड़के लड़कियों की शादी खुद कार्रवाई।

बाड़मेर में तो दलित की बेटी की शादी गांव के ठाकुर परिवार के आंगन ही हुई थी। वहीं अजमेर में दलित की बेटी की शादी में वहां के राजपूत समाज ने खुद ही दुल्हन को घोड़ी बिठाकर बिंदौली निकालकर अनूठा उदाहरण पेश किया था।