अल्मोड़ा की लखौरी मिर्च के साथ ही उत्तराखंड के इन 18 उत्पादों को मिला जीआई टैग, नकल करने पर लगेगी रोक

उत्तराखंड के मोटे अनाज मंडुवा , झंगोरा लाल चावल के साथ ही 18 उत्पादों को भौगोलिक संकेतांक (जीआई टैग) मिल गया है। जिसके चलते इन…

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उत्तराखंड के मोटे अनाज मंडुवा , झंगोरा लाल चावल के साथ ही 18 उत्पादों को भौगोलिक संकेतांक (जीआई टैग) मिल गया है। जिसके चलते इन उत्पादों की ना ही कोई नकल करेगा और ना है अपना ब्रांड होने का कोई दावा करेगा। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर उत्पादों को अलग पहचान मिलेगी। वही उत्पादों को नकल पर भी रोक लगेगी।

बता दें कि वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देने के लिए उद्योग संवर्धन व आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के जीआई रजिस्ट्री विंग की ओर से स्थानीय उत्पादों को जीआई टैग दिया जाता है। उत्तराखंड में पहली बार 18 उत्पादों को एक साथ जीआई टैग मिला है। दो दिसंबर को सीएम आवास के मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीएम धामी की अध्यक्षता में डीपीआईआईटी के महानियंत्रक प्रो. उन्नत पी पंडित उत्पादों का जीआई टैग प्रमाणपत्र देंगे।

उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद के प्रबंध निदेशक विनय कुमार ने बताया कि उत्तराखंड के 18 उत्पादों के जीआई टैग मिलना एक बड़ी उपलब्धि है। इन्हे मिलाकर अब प्रदेश के 27 उत्पादों को जीआई टैग प्राप्त हो चुका है। जिसमें बेरीनाग चाय , मंडूवा , झंगोरा , गहत दाल , लाल चावल , काला भट्ट, माल्टा, चौलाई रामदाना अल्मोड़ा की लाखौरी मिर्च , तुआर दाल , बुरांश जूस, बिच्छू बूटी कंडाली नेटल फाइबर, नैनीताल की मोमबत्ती, रंगवाली पिछौड़ा , रामनगर की लीची नैनीताल का आडू, चमोली का मुखौटा, उत्तराखंड काष्ठ कला को जीआई टैग मिला है।