दयनीय हालत में अल्मोड़ा मृग विहार, श्रमिक मानदेय को मोहताज व वन्यजीवों को खाने के लाले की नौबत 

अल्मोड़ा:- अल्मोड़ा में वन विभाग के अधीन संचालित होने वाले मृग विहार में रह रहे तकरीबन 91 जानवरों व उनकी देखभाल में जुटे श्रमिकों के…

photo -uttranews

अल्मोड़ा:- अल्मोड़ा में वन विभाग के अधीन संचालित होने वाले मृग विहार में रह रहे तकरीबन 91 जानवरों व उनकी देखभाल में जुटे श्रमिकों के सामने भुखमरी की स्थिति आने वाली है | यहां 91 वन्य जीव वन विभाग के बजट के रहमो करम पर निर्भर है वहीं इनकी देखभाल करने वाले दर्जन भर श्रमिकों को पिछले नौ माह से मानदेय नहीं मिला है | इससे जहां जानवरों के खाने पीने की व्यवस्था उधारी में चल रही है | वहीं श्रमिकों को जल्द भुगतान देने के आश्वासन दिए जा रहे हैं |

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इन श्रमिकों को मानदेय भी मात्र 5952 रुपया मिलता है जो 9 माह से नहीं मिला है जिससे कर्मचारियों को जबरदस्त वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है |
यहां विभाग की बड़ी लापरवाही आमने आ रही हैं, मृग विहार में पिछले कई महिनों से कर्मचारियों और इस जू में रहने वाले वन्य जीवों के लिए बजट नही मिला हैं|

इस मृग विहार में 9 गुलदार, 13 सांभर और 67 चीतल, 1 सफेद बंदर, 1 भालू सहित कई जानवर हैं।
अल्मोड़ा मृग विहार की स्थापना 1976 हुई लेकिन इस बार मृग विहार को पिछले 9 माह से बजट नही मिला हैं। जिससे कर्मचारियों के साथ जानवरों को भी खाने के लाले पड़े हुऐ हैं| कर्मचारी जहां अपने वेतन के लिए परेशान हैं , वहीं बेजुवान जानवरों के भोजन के लिए उधारी की व्यवस्था की जा रही हैँ। कर्मचारियों का मानना है कि जानवरों को उधार में भोजन देने वाले दुकानदार भी हाथ खड़ें करने की तैयारी में हैँ। यहां यह भी बता दें कि एक गुलदार को प्रतिदिन 3 किलो गोश्त देना होता है गुलदारों की संख्या ही 9 है इस तरह 1दिन में 27 किलो गोश्त की जरूरत पड़ती है | इसके अलावा चीतलों के लिए चना व अन्य आनाज के अलावा घास की व्यवस्था भी करनी होती है |
विभाग में श्रमिक के तौर पर काम कर रहे राजेन्द्र सिंह कहा कि मानदेय नहीं मिलने से घर चलाना मुश्किल हो रहा है |
राधा देवी ने भी कहा कि मानदेय नहीं मिलने से दिक्कतें हो रहीं हैं|
इधर वन विभाग के रेंजर मोहन राम ने कहा कि जल्दी ही बजट आने की उम्मीद है| इसके बाद सभी का भुगतान कर दिया जायेगा |यहां यह बात भी दीगर है कि वन विहार में रहने वाले जानवर पूरी तरह विभाग के रहमो करम पर निर्भर है यदी जल्दी ही बजट नही मिला तो इन जानवरों को भोजन परोसना काफी मुस्किल हो जायेगा, और 91 जानवरों के लिए जीवन का संकट आ जायेगा।