अल्मोड़ा नगर निगम चुनाव: कांग्रेस में मेयर के टिकट की कुर्सी के लिए मची है भारी भीड़

अल्मोड़ा में होने वाले नगर निगम चुनावों में कांग्रेस पार्टी में एक दिलचस्प और थोड़ी चिंताजनक स्थिति बन गई है। मेयर की कुर्सी महिला उम्मीदवार…

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अल्मोड़ा में होने वाले नगर निगम चुनावों में कांग्रेस पार्टी में एक दिलचस्प और थोड़ी चिंताजनक स्थिति बन गई है। मेयर की कुर्सी महिला उम्मीदवार के लिए आरक्षित किए जाने के बाद कांग्रेस में टिकट पाने के लिए महिला नेताओं की भीड़ उमड़ पड़ी है।

लगभग नौ महिला नेता अभी तक अपनी दावेदारी जता चुकी हैं, जिससे पार्टी के अंदरूनी मैदान में हड़कंप मचा हुआ है। ये संख्या इसलिए और भी ज़्यादा चौंकाने वाली है क्योंकि आरक्षण की घोषणा से पहले सिर्फ़ कुछेक महिला नेता ही चुनाव लड़ने की बात कर रही थीं। अब इस अचानक बढ़ी भीड़ ने कांग्रेस के लिए टिकट बँटवारे की समस्या को बहुत पेचीदा बना दिया है।


पार्टी के कुछ नेता इस बढ़ते उत्साह को अल्मोड़ा में कांग्रेस की मज़बूत पकड़ और जनता के समर्थन का संकेत मान रहे हैं। लेकिन सच ये भी है कि टिकट बँटवारे में पारदर्शिता की कमी या किसी तरह का पक्षपात कई नेताओं को नाखुश कर सकता है। ऐसे में कुछ नेता पार्टी से अलग होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का रास्ता भी अपना सकते हैं।


इस संभावित बगावत की आशंका को देखते हुए, कांग्रेस ने सोमवार को एक बैठक की। इस बैठक में सभी दावेदार मौजूद रहे लेकिन ये बैठक बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। अब सभी दावेदारों के नाम पार्टी हाईकमान को भेजे जाएँगे, और अंतिम फैसला हाईकमान ही करेगा। जिलाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह भोज ने कहा कि जिस भी उम्मीदवार को टिकट दिया जाएगा सारे कार्यकर्ता उसे जिताने के लिए एकजुट होकर काम करेंगे। लेकिन ज़ाहिर है, ये भरोसा कितना कामयाब होगा, ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।


कौन-कौन हैं दावेदार?
मेयर पद की इस रेस में कई जानी-मानी महिला नेताएँ शामिल हैं। इनमें पूर्व पालिकाध्यक्ष और प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शोभा जोशी, कांग्रेस जिला महामंत्री गीता मेहरा, महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष राधा बिष्ट, प्रदेश सचिव लता तिवारी, सुशीला जोशी, पुष्पा सती,लीला जोशी,मीता उपाध्याय और राधा तिवाड़ी
शामिल हैं। हर दावेदार अपने जनाधार और काम के दम पर टिकट पाने की उम्मीद कर रही हैं।


क्या बड़ी है कांग्रेस की चिंता?
दावेदारों की इस बड़ी संख्या ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं की चिंता बढ़ा दी है। उन्हें डर है कि टिकट बँटवारे में पारदर्शिता की कमी या किसी तरह का पक्षपात पार्टी के अंदर गुटबाजी और असंतोष का माहौल पैदा कर सकता है, जिसका चुनाव परिणामों पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। अब देखना ये है कि कांग्रेस इस चुनौती का कैसे सामना करती है और क्या वो इस होड़ को एक मजबूत इकाई बनकर जीत में बदल पाएगी।