अल्मोड़ा। एक पर्वतारोहण अभियान में हिम स्खलन का शिकार हुए अल्मोड़ा के लाल हिम पाण्डे उर्फ चेतन पाण्डे को नगरवासियों ने गमगीन माहौल में अंतिम विदाई दी। चेतन उत्तराखण्ड की सबसे सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी को फतह करने निकले पर्वतारोहियों के दल में शामिल थे। उनका दल 12 मई को पिथौरागढ़ जिले के मुन्सयारी क्षेत्र के नंदा देवी पूर्वी क्षेत्र से चोटी को फतह करने के लिये रवाना हुआ था। 12 सदस्यीय इस दल में चेतन पांडे बतौर लाइजन अफसर साथ में थे। 36 वर्ष के चेतन विवाहित थे। उनका एक छोटा बच्चा है। तीन भाईयों में चेतन दूसरे नंबर के थे।
चेतन के शव का बुधवार हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम किया गया। देर रात्रि उनके भाई हिमांशु पाण्डे और उनके मित्र चेतन का शव लेकर अल्मोड़ा के लक्ष्मेश्वर स्थित उनके आवास पहुंचे। सुबह उनके 7 बजे उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई। स्थानीय विश्वनाथ घाट पर अल्मोड़ा वासियों ने पर्वतारोही चेतन को अंतिम विदाई दी। चेतन के सखा और मांउटेनर ध्रुव जोशी भी उन्हे अंतिम विदाई देने घाट में पहुंचे। चेतन के भाई हिमांशु और सौरव ने शव को मुखाग्नि दी।
डिप्टी स्पीकर रघुनाथ सिंह चौहान,गोविंद पिलख्वाल,पालिकाध्यक्ष प्रकाश जोशी, बिट्टू कर्नाटक,त्रिलोचन जोशी, हेम जोशी,पीयूश भट्ट, अमित साह मोनू,ग्राम प्रधान मटेला संजय बिष्ट, अशोक पांडे,सुनील कर्नाटक, आपदा अधिकारी राकेश जोशी, अजय वर्मा,सुशील साह, जगदीश वर्मा, राजेन्द्र तिवारी सैकड़ो लोग उनके अंतिम संस्कार के मौके पर मौजूद रहे। इससे पूर्व एसडीएम सीमा विश्वकर्मा सहित सैकड़ों लोगों ने चेतन के घर जाकर श्रद्वासुमन अर्पित किये।
ज्ञातव्य है कि 7434 मीटर ऊंची नंदा देवी चोटी को पूर्वी हिस्से से फतह करने के लिए विगत 10 मई को पर्वतारोहियों का यह दल मुनस्यारी से रवाना हुआ था। इस दल में ब्रिटेन निवासी और टीम लीटर मार्टेन मोरन, ब्रिटेन के ही जॉन मैकलारेन, रूपर्ट व्हीवैल, रिचर्ड पायने, आस्ट्रेलिया की रूथ मैककेन्स, अमेरिका निवासी एंथनी सुडेकुम, रोनाल्ड बाइमल और भारतीय लाइजन अफसर चेतन पांडेय शामिल थे।
25 मई को हिम स्खलन होने से 12 पर्वतारोहियों का दल फंस गया था। इस टीम के चार सदस्य किसी तरह से बेस कैंप तक वापस आ गये थे। जिसके बाद उन्हे रेसक्यू कर पिथौरागढ़ लाया गया था। जबकि अल्मोड़ा के पर्वतारोही चेतन पाण्डे सहित 7 विदेशी पर्वतारोही हिम स्खलन का शिकार होने से लापता हो गये थे। बाद में प्रशासन ने काफी देरी से रेसक्यू अभियान शुरू किया था। लगभग एक सप्ताह बाद शुरू हुए रेसक्यू अभियान में मौसम सबसे बड़ी बाधा बना। बार बार मौसम खराब होने से अभियान में काफी बाधाये आई। एक पर्वतारोही अभी भी लापता है।