अल्मोड़ा, 24 अप्रैल 2021- गोविंद बल्लभ पंत हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल Almora के निदेशक डॉ. आरएस रावल के निधन पर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में शोक सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान पुण्य आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।
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कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी ने अपने शोक संदेश में कहा कि डॉ. आरएस रावल के असमय निधन से उत्तराखंड को भारी क्षति हुई है। एक वैज्ञानिक और पर्यावरण चिंतक के तौर पर उन्होंने पर्यावरण के लिए अपना योगदान दिया है। कहा कि डॉ. रावल ने पर्यावरण को ही अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पण किया है।
जैव विविधता, पर्वतीय क्षेत्र की वनस्पतियों और ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर उनके दिए गए व्याख्यानों से पर्यावरण चिंतन देश और समाज में प्रसारित हुआ है। वह संवेदनशील वैज्ञानिक रहे हैं, उनके योगदान को हम कभी भुला नहीं सकते।
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उन्होंने कहा कि डॉ. रावल सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के हमेशा से हितैषी रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों और शोधों को आगे बढ़ाने के लिए अपना हमेशा से सहयोग दिया। आगे भी वह जीबी पंत संस्थान और सोबन सिंह जीना विवि, दोनों ही संस्थानों के सहयोग से पर्यावरण क्षेत्र में बेहतर वैज्ञानिक तैयार कर देना चाहते थे। उनके असमय निधन होने से पर्यावरण जगत में भारी क्षति हुई है।
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विश्वविद्यालय के शोध एवं प्रसार निदेशालय के निदेशक प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने कहा कि मृदु स्वभाव के धनी डॉ. रावल ने पर्यावरण को लेकर उत्कृष्ट शोधकार्य कर हिमालयी राज्य के लिए अविस्मरणीय योगदान दिया है। सीमांत जनपद से ताल्लुक रखने वाले डॉ. रावल हमेशा से ही अपनी जड़ों से जुड़े रहे हैं और उन्होंने पर्वतीय क्षेत्र पर बहुत गहराई से कार्य किया है। उनके असमय जाने से हम बेहद दुखी है।
परीक्षा नियंत्रक प्रो. सुशील कुमार जोशी ने कहा कि हमने एक प्रतिभावान वैज्ञानिक और पर्यावरणविद् को अपने बीच से खो दिया है, वो सरल स्वभाव के थे। उनके असमय चले जाने से वैज्ञानिक जगत को भारी क्षति हुई है।
विश्वविद्यालय के विशेष कार्याधिकारी डॉ. देवेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि पर्यावरण को लेकर हमेशा चिंता करने वाले वैज्ञानिक डॉ. रावल के निधन से इस राज्य को भारी क्षति हुई है। उनके निधन से हमें काफी दुख पहुंचा है।
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कुलसचिव डॉ. बिपिन चंद्र जोशी ने कहा कि वैज्ञानिक डॉ. रावल का पर्यावरण को लेकर बहुत बड़ा योगदान रहा है। पर्यावरण को लेकर उन्होंने बेहतर शोध इस समाज को दिए हैं। उन्होंने हिमालयी पर्यावरण को अपना जीवन समर्पित किया था। अभी भी वो इस पर शोध कर रहे थे। उनके असमय निधन होने से समाज को नुकसान हुआ है।
एसएसजे परिसर निदेशक प्रो. नीरज तिवारी ने अपने शोक संदेश में कहा कि हमने एक महान पर्यावरणविद एवं अपने परिसर का परम हितैषी वैज्ञानिक को खो दिया है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और शोकाकुल परिवार को इस असीम दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें।
शोक जताने वालों में डॉ. भाष्कर चौधरी, डॉ. मुकेश सामंत, डॉ. नवीन भट्ट, डॉ. ललित चंद्र जोशी, बिपिन जोशी, देवेंद्र पोखरिया, कैलाश छिमवाल, विनीत कांडपाल, त्रिलोक बिष्ट, प्रकाश सती, गोविंद अधिकारी, आलोक वर्मा समेत विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं कर्मचारी शामिल थे।
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