अल्मोड़ा। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अल्मोड़ा नगर में स्थित स्वामी विवेकानंद द्वार के समीप संचालित देशी शराब की दुकान को अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस संदर्भ में नगर के निर्वाचित पार्षदों और ने उत्तराखंड सरकार को एक ज्ञापन सौंपकर इस दुकान को तत्काल हटाने की अपील की।
ज्ञापन में कहा गया है कि स्वामी विवेकानंद द्वार, जो आध्यात्मिकता, प्रेरणा और ज्ञान का प्रतीक है, अल्मोड़ा की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का अभिन्न अंग है। इस स्थान से हजारों पर्यटक, श्रद्धालु और स्थानीय नागरिक प्रतिदिन गुजरते हैं। लेकिन इसी महत्वपूर्ण स्थल के निकट एक देशी शराब की दुकान का संचालन नगर की छवि को धूमिल कर रहा है और युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।
नगर की सांस्कृतिक गरिमा को ठेस
ज्ञापन देने वाले नागरिकों ने स्पष्ट किया कि अल्मोड़ा न केवल अपनी नैसर्गिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि यह आध्यात्मिकता और भारतीय संस्कृति का भी एक प्रमुख केंद्र है। यहां आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु स्वामी विवेकानंद के पदचिन्हों का अनुसरण करने के उद्देश्य से इस नगर में आते हैं।
नगरवासियों का कहना है कि ऐसे ऐतिहासिक स्थल के समीप शराब की दुकान का संचालन अनुचित है और इससे नगर की गरिमा को ठेस पहुंच रही है। साथ ही, यह युवाओं के बीच नशे की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे सकता है, जिससे समाज में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
जनप्रतिनिधियों और नागरिकों की एकजुटता
ज्ञापन देने वालों में नगर के पार्षद वैभव पांडे, वंदना वर्मा, अंजू बिष्ट, नवीन आर्य, जानकी पांडे, पूनम त्रिपाठी, मीरा मिश्रा, आशा बिष्ट, एकता वर्मा, राधा मटियानी, श्याम पांडे, तुलसी देवी, नेहा टम्टा, पूनम वर्मा, गुंजन चम्याल, दीप चंद्र जोशी, हेम चंद्र तिवारी, कमला किरोला, अनूप भारती, दीपक कुमार, मुकेश कुमार डैनी, विकास कुमार आर्या, कुलदीप सिंह मेर, इन्तेजाम आलम कुरैशी, रीना टम्टा, प्रदीप आर्या, गीता बिष्ट, सुश्री चंचल दुर्गापाल, मधु बिष्ट सहित कई गणमान्य नागरिक शामिल रहे।
सभी ने एक स्वर में मांग की कि इस शराब की दुकान को तुरंत स्थानांतरित किया जाए ताकि अल्मोड़ा की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित किया जा सके और युवाओं को नशे की प्रवृत्तियों से बचाया जा सके।
प्रशासन से शीघ्र कार्रवाई की मांग
नागरिकों ने प्रशासन से आग्रह किया कि इस विषय पर गंभीरता से विचार किया जाए और शीघ्र आवश्यक कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए तो नगरवासी बड़े स्तर पर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मांग पर क्या रुख अपनाता है और क्या कार्रवाई करता है। स्थानीय जनता को उम्मीद है कि उनकी आवाज सुनी जाएगी और स्वामी विवेकानंद द्वार की गरिमा को बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।