अल्मोड़ा:: बिनसर (Binsar)अग्निकांड को लेकर बिनसर न्याय मंच ने खोला मोर्चा किया प्रदर्शन

Almora: Binsar Nyay Manch opened a protest regarding Binsar fire incident. अल्मोड़ा, 19 जून 2024- बिनसर (Binsar)अभ्यारण क्षेत्र मे हुई वनाग्नि की घटना में अब…

IMG 20240619 WA0033

Almora: Binsar Nyay Manch opened a protest regarding Binsar fire incident.

अल्मोड़ा, 19 जून 2024- बिनसर (Binsar)अभ्यारण क्षेत्र मे हुई वनाग्नि की घटना में अब तक 5 की मौत हो गई है जबकि तीन दिल्ली अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।


घटना को लेकर बिनसर न्याय मंच ने अब मोर्चा खोल दिया है। बुधवार को मंच से जुड़े विभिन्न ग्राम
पंचायतों के ग्रामीणों ने बिनसर गेट के पास धरना दिया। इस दौरान शासन प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।


इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि सरकार अग्निकांड के पीड़ितों को राहत राशि देकर अपना पल्ला झाड़ लिया है। जबकि बिनसर अभ्यारण में कई अनिमियताएं है, कई अव्यवस्थाएं है जिन्हें
लेकर कई बार शासन प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है।लेकिन समस्या जस की तस है। कहा कि बिना सुरक्षा व्यवस्था वे लेख तैयारियों के वन कर्मचारियों को आग बुझाने भेज दिया जाता है।चेतावनी दी कि जल्द व्यवस्थाएं नहीं सुधरी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।


इस मौके पर “बिनसर न्याय मंच” के बैनर तले डीएफओ को ज्ञापन भी दिया गया जिसमें 13 जून को बिनसर में दावानल को नियंत्रित करने में अपनी जान गवां चुके कार्मिकों के प्रति गहरी शोक संवेदना व्यक्त की और इस घटना को शासन/प्रशासन की घोर लापरवाही का परिणाम बताया।
ज्ञापन में मांग की गई कि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचने हेतु उनकी मांगों पर त्वरित कार्यवाही की जाय।


ज्ञापन में जंगल की आग बुझाने में अपनी जान गवां चुके लोगों के परिवार से एक व्यक्ति को स्थाई सरकारी नौकरी तथा 50 लाख रूपया आर्थिक सहायता दी जाय, जबकि घायलों को रू. 25 लाख की सहायता राशि उपलब्ध कराई जाने,वन बीट अधिकारियों के रिक्त पदों को तत्काल भरा जाने। सीजनल फायर वाचरों की नियुक्ति ग्राम पंचायत, वन पंचायत व जैव विविधता प्रबंधन समिति को विश्वास में लेकर किया जाय तथा नियुक्ति के समय उन्हें नियुक्ति पत्र दिया जाय।


इसके अलावा सीजनल फायरवाचर तथा अग्नि सुरक्षा के कार्य में लगे प्रत्येक व्यक्ति का बीमा अनिवार्य रूप से कराया जाय। कहा कि फायर वाचर को मजदूरी मात्र 380 रूपया प्रतिदिन दी जाती है, जिसे बढ़ाकर 1000 रुपया प्रतिदिन किया जाय। मजदूरी भुगतान प्रतिमाह किया जाय।
अग्नि नियंत्रण में लगे सभी कार्मिकों/स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं के लिए फायर प्रूफ कपड़े, जूते, आवश्यक उपकरण व पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री तथा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाय। उचित प्रशिक्षण के बिना किसी भी कार्मिक को अग्नि शमन कार्य में लगाना दंडनीय अपराध माना जाय। साथ ही आवश्यकतानुसार नई अग्नि बटियाओं का निर्माण तथा पुरानी अग्नि बटियाओं का पुनर्निर्माण किया जाय। वनाग्नि नियंत्रण का कार्य मात्र 4 माह का नहीं है। इसके लिए वर्ष भर प्रयास करने होगें। इन प्रयासों में जहां एक तरफ चाल-खाल, तालाब, चेकडैम निर्माण जैसे कार्य करने होंगे, वहीं दूसरी तरफ वन पंचायत, ग्राम पंचायत, सिविल सोसाइटीज तथा वन विभाग के मध्य निरंतर संवाद / समन्वय जरूरी है। पिरूल खरीद केन्द्र जगह-जगह स्थापित किये जाय। इससे संबधित उद्योग स्थानीय स्तर पर लगाए जाय।


चीड़ वनों के विस्तार को रोकने हेतु 1996 से पूर्व की भांति चीड़ के हरे परिपक्व वृक्ष हकधारकों को उपलब्ध कराये जाने हेतु आवश्यक कानूनी / अदालती कार्यवाही प्रारम्भ की जाय। बिनसर अभयारण्य में लिया जाने वाला प्रवेश शुल्क स्थानीय गांवों के विकास में खर्च किया जाय।
सभी ने एक स्वर में उक्त मांगों पर समुचित कार्यवाही न होने पर “बिनसर न्याय मंच” के सहयोगी संगठनों के साथ समूचे प्रदेश में व्यापक जनांदोलन की चेतावनी दी।इस मौके पर चंदन सिंह बिष्ट, महेश कुमार, अशोक भोज, ईश्वर जोशी, डूंगर सिंह, आशा देवी, किरन भाकुनी, हेमंत कुमार, तारा नगरकोटी, कमला भाकुनी आदि मौजूद थे।