‘‘ सुना है कि जनता ने सरकार का विश्वास खो दिया है क्या यह मुनासिब नही होगा कि सरकार जनता को भंग कर ले और अपने लिये दूसरी जनता चुन ले ‘‘
यह शब्द आज के भारतीय परिवेश में बिल्कुल फिट बैठते है जहा पर अपने खिलाफ बोलने पर आवाज बंद करा दी जाती हो चाहे वह गौरी लंकेश या कोई और। हालत यह है कि सरकार के खिलाफ बोलना आज के दौर में देशद्रोह करार दिया गया है। कुछ ऐसा ही आज शाम खबर सुनकर महसूस हुआ जब शाम होते होते एक बड़ी खबर सामने आयी कि देश के जाने माने पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेई ने एबीपी न्यूज से इस्तीफा दे दिया। जबसे पुण्य प्रसून बाजपेई ने एबीपी न्यूज ज्वाइन किया था तबसे वह अपने कार्यक्रम मास्टरस्ट्रोक से सरकार की नब्ज पकड़ने का काम कर रहे थे नतीजा यह हुआ कि धीरे धीरे कर एबीपी न्यूज के सिग्नल गायब होने लगे और आखिरकार पुण्य प्रसून बाजपेई को एबीपी न्यूज से इस्तीफा देना पड़ा। इसके अलावा खबर यह भी है कि एबीपी न्यूज प्रबंधन ने अभिसार शर्मा को लंबी छुटटी पर भेज दिया है। इससे पहले कल ही चैनल के प्रबंध संपादक मिलिंद खांडेकर भी अपना इस्तीफा दे चुके है। अब देखना यह है कि सरकार के कोपभाजन का शिकार कौन कौन पत्रकार बनते है।