उत्तराखंड की राजनीति में प्रेमचंद अग्रवाल के विवादित बयान ने एक नया मोड़ ला दिया है। उनके इस्तीफे के बावजूद भाजपा इस मुद्दे से पीछा नहीं छुड़ा पा रही है, जबकि कांग्रेस इसे लेकर लगातार हमलावर बनी हुई है। विपक्ष का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री के असंसदीय बयान पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, जिससे भाजपा सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य का मानना है कि विधानसभा अध्यक्ष को निष्पक्ष रहकर सदन की गरिमा बनाए रखनी चाहिए थी, मगर उनकी चुप्पी से यह साफ हो गया कि वह सरकार के दबाव में काम कर रही हैं।
इस मुद्दे पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने भी भाजपा को आड़े हाथों लिया। उनका कहना है कि विधानसभा में इस तरह की घटना पहले कभी नहीं घटी और यह राज्य के लोकतांत्रिक मूल्यों पर गहरी चोट है। उन्होंने भाजपा पर राज्य को पहाड़ और मैदान के आधार पर बांटने की साजिश करने का भी आरोप लगाया। उनका मानना है कि जब सदन में मुख्यमंत्री स्वयं मौजूद थे, तब भी तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री ने विवाद खड़ा किया और स्पीकर ने कोई दखल नहीं दिया। इससे स्पष्ट है कि भाजपा अपने नेताओं के इस आचरण का समर्थन कर रही है।
कांग्रेस ने इस पूरे मामले में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के इस्तीफे की मांग की है। उनका कहना है कि यदि इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती है, तो यह साफ हो जाएगा कि भाजपा सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान नहीं कर रही और राज्य को विभाजित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।