सराहनीय! पुरातत्व कालीन धरोहर को सहेजने की पहल,हाथों से हाथ जुड़े और हुआ कायाकल्प

अल्मोड़ा। द्वावाराहाट के देवलधार में लोगों ने पुरातत्वकालीन नौले को अपने श्रमदान से सहजने का प्रयास किया है। वर्षों से जीर्ण शीर्ण नौले को सहेजने…

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अल्मोड़ा। द्वावाराहाट के देवलधार में लोगों ने पुरातत्वकालीन नौले को अपने श्रमदान से सहजने का प्रयास किया है। वर्षों से जीर्ण शीर्ण नौले को सहेजने को ग्रामीण एकजुट हुए और उन्होंने वो कर दिखाया, जिसे देख नौले से गुजरने वाला हर कोई सराहना करता नजर आया। ग्राम प्रधान नौलाकोट ने ग्रामीणों की सराहना की और हर सम्भव मदद का भरोसा जताया।
ब्लॉक द्वाराहाट के देवलधार वासियों ने पुरातत्व कालीन और वर्षों से क्षतिग्रस्त नौले को श्रमदान कर दुरुस्त किया। मिट्टी के गारे और पाथर से नौले के स्वरूप को लौटाने की पहल की गयी। जिसमें, बड़े बुजुर्गों के साथ ही मातृ शक्ति और बच्चों ने बढ़ चढ़कर सहयोग किया। जिनमें गोविंद सिंह नेगी, प्रकाश सिंह, राजेन्द्र सिंह, प्रताप सिंह, जीवन सिंह, मनोहर सिंह, कैलाश सिंह, हीरा सिंह, लक्ष्मण सिंह, सागर सिंह, कुमारी पूजा नेगी, दुर्गा देवी, नीमा देवी, तारा देवी, कमला देवी, भावना देवी आदि शामिल रहे। अंत में नौले के आस पास पौंधरोपण भी किया गया।

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बड़े बुजुर्गों के अनुसार उक्त नौले का निर्माण कब और किसने किया, ये कोई स्पष्ट नहीं जानता। लेकिन 70 वर्षीय गोविंद सिंह नेगी ने बताया कि उनके सामने ही करीब 60 वर्ष पूर्व पानी के कुंड को नौले के स्वरूप में ढाला गया। पूर्वजों के अनुसार पहाड़ों में जगह जगह नौलों और धार्मिक स्थलों का निर्माण, कत्यूरी राज वंश के दौरान ही हुवा। कैड़ारौ घाटी में पुरातत्व कालीन धरोहर के रूप में देवलधार स्थित नौला और डिपाव सहित पारकोट ग्राम सभा का भैरव मंदिर ही हैं।

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