मां के अकाउंट से एक शख्स को ट्रेडिंग करना पड़ गया भारी, भरना पड़ा 77 लाख का जुर्माना, जाने किस बात की मिली सजा

सेबी ने हिमाचल प्रदेश के शख्स और उसकी मां पर 77 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। इस जमाने के पीछे की वजह फ्रंट रनिंग…

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सेबी ने हिमाचल प्रदेश के शख्स और उसकी मां पर 77 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। इस जमाने के पीछे की वजह फ्रंट रनिंग है। यह एक गैर कानूनी वित्तीय प्रेक्टिस है जिसका इस्तेमाल युवक ने बाजार में से पैसा बनाने के लिए किया था।

बताया जा रहा है कि युवक ने अपनी मां के नाम पर एक अकाउंट खोला और उसे ट्रेडिंग कर रहा था। वह इस अकाउंट का नॉमिनी था और अकाउंट को अपने लिए ही यूज कर रहा था लेकिन सवाल यह है कि अपनी मां के अकाउंट का इस्तेमाल करने के कारण किसी पर पेनल्टी कैसे लगाई जा सकती है।

दरअसल, युवक ने अपनी मां के अकाउंट का इस्तेमाल फ्रंट रनिंग के लिए किया था। फ्रंट रनिंग एक गैर-कानूनी वित्तीय प्रैक्टिस है। आइए जानते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है और यहां फ्रंट रनिंग का क्या रोल है?

क्या है मामला?

यह मामला 1 जुलाई 2021 से 30 जून 2022 के बीच का है। युवक ने 2020 में खोले गए अपनी मां के अकाउंट का इस्तेमाल ट्रेडिंग के लिए किया। यह व्यक्ति एक रेडिको एनवी डिस्टिलर्स के साथ काम कर रहा था। इसे डेप्यूटेशन पर सफायर इंटरेक्स में भेजा गया था। यह युवक एक टेक्निकल एनालिस्ट है जो कंपनी के लिए न्यूज, घोषणाओं और अंतरराष्ट्रीय बाजार की हलचलों के साथ अपनी कंपनी टेक्निकल व्यू देता है

इसके सुझाव के आधार पर कंपनी ऐसे सेक्टर को चुनती है, जहां पैसा लगाना है। इन्हीं सुझावों के आधार पर कंपनी स्टॉक चुनती है। एक बार स्टॉक तय हो जाने के बाद यह शख्स अपने ग्राहक की तरह से किसी ट्रेडर को ऑर्डर प्लेस करने के लिए कह देता था।

यहां तक तो सब ठीक था लेकिन इसके बाद जो यह युवक कर रहा था उस वजह से यह दिक्कतों में आ गया। इस दौरान जो चार्ट्स तैयार किए थे उसी के आधार पर खुद के निजी शेयर भी खरीद लिये। यह ट्रेडिंग उसने अपनी मां के अकाउंट से की मार्केट रेगुलेटर सेबी ने इसे फ्रंट रनिंग बताते हुए दोनों पर जुर्माना लगा दिया। युवक का कहना है कि उसके द्वारा किए गए ट्रेड्स भले ही कंपनी के ट्रेड से मिलते-जुलते हों लेकिन यह जानबूझ कर नहीं किया गया है।

क्या होती है फ्रंट रनिंग?

फ्रंट रनिंग को टेलगेटिंग या फॉरवर्ड रनिंग भी कहा जाता है। यह इनसाइडर ट्रेडिंग से मिलती जुलती है। इसमें कोई ब्रोकर या निवेशक कंपनी की अंदर की जानकारी और आगे होने वाली ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल स्टॉक्स में पैसा लगाने के लिए करते हैं। उदाहरण के लिए कोई ब्रोकर अपनी फर्म से पहले ही उस शेयर में निवेश कर दे जो शेयर उसकी कंपनी खरीदने वाली है। इसे सेबी ने गैर-कानूनी बताया है।