देहरादून के जंगलों में मिली एक रहस्यमई कुटिया, वन विभाग भी पड़ा सोच में, सामने आई यह सच्चाई

देहरादून पांवटा मार्ग पर धूलकोट के घने जंगल में एक रहस्यमयी कुटिया मिली है। इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने वन आरक्षित क्षेत्र में ये कुटिया…

A mysterious hut was found in the forests of Dehradun, the forest department is also wondering

देहरादून पांवटा मार्ग पर धूलकोट के घने जंगल में एक रहस्यमयी कुटिया मिली है। इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने वन आरक्षित क्षेत्र में ये कुटिया देखी तो बवाल मच गया जिसके बाद वन विभाग की टीम भी मौके पर आई और मामले की जांच शुरू कर दी। किसी को नहीं पता यह कुटिया कब और किसने बनाई है जबकि इस कुटिया को बेहद आकर्षक अंदाज से बनाया गया है। इस वन विभाग का कहना है कि इंटरनेट मीडिया पर वीडियो बनाने के लिए यह बनाया गया होगा।

ग्रामीण विकास पुंडीर समेत कुछ अन्य लोगों को सूचना मिली कि धूलकोट के जंगल में कुटिया बनाकर कोई अवैध रूप से रह रहा है। जिस पर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और झाझरा रेंज के अधिकारियों को फोन कर सूचना दी। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की टीम फोन करने के बाद भी काफी देर तक नहीं पहुंची।

ग्रामीणों का कहना है कि जंगल के बीच अवैध रूप से पेड़ काटकर कुटिया व अन्य ढांचे का निर्माण किया गया था। इसके साथ ही वहां राख का ढेर भी पाया गया था। इसका मतलब भी कि यहां कुछ व्यक्ति आग जलाकर रह रहे थे।

हालांकि जांच पड़ताल करने पर कोई व्यक्ति वहां नहीं मिला लेकिन ग्रामीणों ने यहां से किसी प्रकार की अवैध गतिविधियों संचालित होने की आशंका बताई है।इसके साथ ही वन विभाग के कर्मचारियों पर भी आरोप लगाए जा रहे हैं।

झाझरा रेंज की क्षेत्राधिकारी दीक्षा बिजल्वाण ने कहा कि उन्होंने मौके पर वन विभाग की टीम भेजकर निर्माण ध्वस्त करा दिया है और कुटिया बनाने वालों के संबंध में जांच की जा रही है। साथ ही वन कर्मियों को क्षेत्र में रात्रि गश्त बढ़ाने के भी निर्देश दिए हैं।

ग्रामीणों ने झाझरा रेंजर को लिखित शिकायत देकर धुलकोट के निवासी वन कर्मचारी राजू प्रसाद पर अभद्रता का आरोप लगाया। आरोप है कि ग्रामवासियों के साथ वह दुर्व्यवहार कर अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं।

ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि राजू प्रसाद की नियुक्ति के बाद से ही क्षेत्र के जंगल में अवैध रूप से पेड़ कटान की घटनाएं बढ़ गई हैं। साथ ही वह वन संपदा को भी बेच रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों ने उनके स्थानांतरण की मांग की है।