A line for admission in this government primary school of Uttarakhand.
बागेश्वर, 27 मार्च 2022- लगातार छात्र संख्या कम होने से बंद होने के कगार पर सरकारी स्कूल पहुंच चुके हैं।
उसी राज्य में सुदूरवर्ती बागेश्वर जिले के कपकोट में primary school kapkot एक ऐसा स्कूल भी है जहां प्रवेश को लंबी लाइन लगती है।
यही नहीं कई बार यहां प्रवेश बंद का बोर्ड तक लगाना पड़ता है।
स्कूल में तैनात शिक्षकों के अतिरिक्त कई सरकारी अधिकारियों के बच्चे भी यहां शिक्षा ग्रहण करते हैं।
यह बदलाव की गाथा किसी चमत्कार का नहीं बल्कि स्कूल में तैनात शिक्षकों की टीम की अनवरत मेहनत का परिणाम है कि 2016 में 30 बच्चों वाले स्कूल primary school kapkot में अब छात्र संख्या 284 पहुंच गई है।
सोशल मीडिया में भी इस स्कूल की काफी सराहना हो रही है।
गली गली फ्लेक्स बोर्डों की चमचमाहट के बीच तेजी से बढ़ रहे प्राइवेट स्कूलों के चलन के दौर में यदि यह कहा जाय कि सरकारी प्राइमरी स्कूल में प्रवेश को टेस्ट क्वालीफाई करना होता है तो आप यकीन नहीं कर पाएंगे, लेकिन यह हकीकत है बागेश्वर जिले के कपकोट आदर्श प्राथमिक विद्यालय की (primary school kapkot)।
जहां नौनिहाल के दाखिले के लिए अभिभावक सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक लाइन लगाकर खड़े रहने को तैयार हैं।
2016 से पहले यहां (primary school kapkot में)पढ़ते थे 30 बच्चे
यह बताते चलें कि राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय कपकोट (primary school kapkot)में 2016 से पहले केवल 30 छात्र पठन-पाठन का कार्य करते थे, लेकिन 2016 में यह आदर्श विद्यालय बना और ख्याली दत्त शर्मा ने प्रधानाध्यापक का पदभार संभाला।
वर्तमान में विद्यालय में छात्रो की संख्या 284 के पार पहुंच गई है और तीन सेक्शन में कक्षाएं संचालित होती है। इतना ही नहीं स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों के बच्चे भी यही पढ़ते हैं। शिक्षकों की मेहनत से कपकोट आदर्श प्राथमिक विद्यालय (primary school kapkot)से प्रतिवर्ष तीन बच्चों का सैनिक स्कूल घोड़ाखाल में और नवोदय विद्यालय में 8 से दस बच्चे भी चयनित होते हैं।
विद्यालय में 50 बच्चों के प्रवेश के लिए अभी तक 300 से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं। लेकिन प्रवेश सीमित यानि 50 बच्चों को ही मिलेगा।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक ख्याली दत्त शर्मा और उनकी टीम स्कूल अवधि के अलावा भी बच्चों की शैक्षिक योग्यता निखारने व समस्या निस्तारण को हमेशा उपलब्ध रहते हैं। यहां से हर शैक्षिक कलेंडर में औसतन सैनिक स्कूल और नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा में बच्चों का चयन होता रहा है, इसके बाद विद्यालय लोकप्रियता के सोपान चढ़ता रहा।
इस बार भी यहां प्रवेश के लिए बच्चों की लाइन लगी हुई है।