जीबी पंत पर्यावरण संस्थान के राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन (National Himalayan Studies Mission)में शोधार्थी सम्मेलन शुरु

National Himalayan Studies Mission

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Researchers’ conference started at GB Pant Environment Institute’s National Himalayan Studies Mission

अल्मोड़ा, 02 फरवरी 2021- जीबी पंत पर्यावरण संस्थान के राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन(National Himalayan Studies Mission) का दो दिवसीय छठा शोधार्थी सम्मेलन शुरू हो गया है।

National Himalayan Studies Mission

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज (Satpal Maharaj) 4—5 फरवरी को अल्मोड़ा दौरे पर, इन कार्यक्रमों में करेंग

“मानव जटिल रूप से जीव जगत से जुड़ा है , और उसके सीधे प्रभाव हम पर पड़ता है , वैश्विक कोविड संकट इसका उदाहरण है, हमें धरती पर हर प्रकार के जीवन और जैव विविधता को बचाने और उसके समझने के प्रयास करने होंगे।”

यह बात पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अपर सचिव सुश्री बीवी उमादेवी द्वारा National Himalayan Studies Mission में हिमालयन शोधार्थी सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि कही।

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उन्होंने कहा कि जैव विविधता के क्षेत्र में वृहद व प्रासंगिक विषयों का चयन कर शोधार्थी इस प्रकार के शोध प्रस्तुत करें तो देश दुनिया में नीति निर्माण में सहायक हों।

राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन (National Himalayan Studies Mission)का छठी शोधार्थी सम्मेलन की शुभारंभ विधिवत रूप से राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन (National Himalayan Studies Mission)नोडल कार्यालय से शुरू हुआ।

इस दो दिवसीय इस सम्मेलन में 6 हिमालयी राज्यों से 28 शोधार्थी प्रतिभाग कर रहे हैं। कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर गोविंद बल्लभ राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी के निदेशक डाॅ आरएस रावल द्वारा कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर शोधार्थियों से वैश्विक स्तर के शोध कार्यों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि “उत्तरपूर्व के राज्यों में शोध कार्यों का प्रतिशत अच्छा है लेकिन वैश्विक स्तर पर शोध पत्र प्रकाशन में हम अभी पीछे हैं।” उन्होंने कहा कि “शोध कार्य को प्रकट करना और उसे वैश्विक मान्यता दिलाना हमारा दायित्व है।

उन्होंने वानिकी और गैर वानिकी जैव विविधता के क्षेत्रों पर प्रकाश डाला और कहा कि जैव विविधता संरक्षण एक वृहद और जटिल क्षेत्र है और युवा वैज्ञानिकों को इस चुनौती को गंभीरता से लेना होगा।”

राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन(National Himalayan Studies Mission) के नोडल अधिकारी ई0 किरीट कुमार द्वारा इस संगोष्ठी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिमालयी राज्यों के युवा शोधार्थियों को हिमालयन फैलोशिप देकर लगातार गुणवत्तापूर्ण शोध कार्यों का प्रोत्साहित किया जा रहा है।

मिशन(National Himalayan Studies Mission) की शुरूवात 2016 से अब तक 175 से अधिक हिमालय फैलोशिप जारी हो चुकी है जिसमें हिमालयी राज्यों के 30 से अधिक संस्थानों से युवा वैज्ञानिक सम्मिलित हैं।

उन्होंने बताया कि “अब तक 119 से अधिक फैलोशिप पूर्ण हो गई है और इस वर्ष के 56 पूर्ण होने वाली है। 46 युवा इस क्षेत्र में पीएचडी उपाधि भी प्राप्त कर चुके हैं।”

उन्होंने बताया कि मिशन की ओर से सर्वाधिक 107 फैलोशिप जैव विविधता संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में दी गई है। अब तक मिशन के तहत 10 प्रकार के डेटाबेस को भी तैयार किया जा चुका है। National Himalayan Studies Mission भारतीय हिमालयी क्षेत्र की प्राकृतिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिकीय तथा सामाजिक-आर्थिक संपत्तियों व मूल्यों पर केंद्रित अनुसंधान पर जोर देता है।”

जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन विषय केंद्रित इस वेब संगोष्ठी में प्रथम सत्र का मूल्यांकन विषय विशेषज्ञ सीआईएफआरआई असम के डाॅ बीके भटटाचार्य, व भारवीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के डाॅ जेए जाॅनसन, असम कृषि विश्वविद्यालय असम के डाॅ राजदीप दत्ता, सिक्किम विश्वविद्यालय के भोज के आचार्य द्वारा किया गया।

इस अवसर पर गुवाहाटी विश्वविद्यालय से सुश्री लोनाई लाहकर, आईजाॅल विश्वविद्यालय मिजोरम से डाॅ सी, मलसावमतल्वांगी, व मारी ललरमस्वागी, गुवाहाटी विश्वविद्यालय से डाॅ अंजन संगमा, व विवेक चटर्जी, द्वारा अपनी प्रस्तुतियां दी गई तथा विषय विशेषज्ञों द्वारा उनके शोध कार्यों का मूल्यांकन कर उन्हें आवश्यक सुझाव दिए गए।

द्वितीय सत्र में शोधार्थी वन शोध संस्थान देहरादून के डाॅ नरेंद्र कुमार, गुवाहाटी विश्वविद्यालय असम से डाॅ भृगु प्रसाद, प्रांजन महानंदा, तनवीर अहमद, व मृणाल ज्योति दैमय द्वारा अपने शोध कार्यों की पर प्रस्तुति दी गई। इस सत्र में विषय विशेषज्ञ भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के डाॅ एस0 सथ्यकुमार, डब्लू0डब्लूएफ नई दिल्ली से डाॅ दिवाकर शर्मा, कश्मीर विश्वविद्यालय से डाॅ खुर्शीद अहमद, व जुलाॅजिकल सर्वे आॅफ इण्डिया , कोलकत्ता से डाॅ ललित कुमार शर्मा द्वारा इनका मूल्यांकन किया गया।

तकनीकी सत्रों में शोधार्थियों द्वारा उभयचर जीवों और मत्स्य , स्तनधारी जीवों तथा पक्षीवर्गीय जीवों पर किये जा रहे अपने अनुसंधान कार्यों, शोध पद्धति व उपलब्धियों को विषय विशेषज्ञों के सम्मुख प्रस्तुत किया।
विशेष अतिथि पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री जिग्मत तकपा द्वारा इस सफल शोधार्थी सम्मेलन के आयोजन पर सभी को शुभकामनाएं दी और कहा कि यह मंच शोध कार्योें की गुणवत्ता को नए शिखर पर ले जाने का काम करेगा।

परियोजना वैज्ञानिक ईं0 सैयद रौउल्ला अली द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया। संस्थान से डाॅ रंजन जोशी, इं0 आशुतोष तिवारी,  पुनीत सिराड़ी, आशीष जोशी, योगेश परिहार आदि ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

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