Almora- अल्मोड़ा गणतंत्र दिवस के दिन भी गुरिल्लों ने दिया धरना, कहा— शासन—प्रशासन अपने कर्तव्यों को भूला

अल्मोड़ा 26 जनवरी 2021 72वें गणतंत्र दिवस के दिन भी अल्मोड़ा Almora जिलाधिकारी कार्यालय के प्रांगण में नौकरी, पेंशन एवं अन्य सुविधाओं की मांग को…

Almora gurrillo ne diya dharna

अल्मोड़ा 26 जनवरी 2021

72वें गणतंत्र दिवस के दिन भी अल्मोड़ा Almora जिलाधिकारी कार्यालय के प्रांगण में नौकरी, पेंशन एवं अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर एसएसबी स्वयं सेवकों का धरना 4136 दिन भी जारी रहा।


गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए एसएसबी स्वयंसेवक कल्याण समिति के केंद्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानंद डालाकोटी एवं जिला अध्यक्ष अल्मोड़ा Almora शिवराज बनौला ने कहा कि जहां हम भारतीय गणतंत्र में मिले अधिकारों के कारण अपनी मांगों के लिए 11 वर्षों से धरने पर बैठे हुए हैं।

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ऐसा लगता है हमारा तंत्र अपने कर्तव्यों को भूल गया है जबकि गण और तंत्र 2 शब्दों को मिलाकर बने इस शब्द का अर्थ है गण का तंत्र तंत्र जिसका अर्थ है प्रशासन या शासन व्यवस्था गण का मतलब है जनता, जनता के शासन का मतलब है की वास्तविक ताकत जनता के हाथ में है या तंत्र जनता के लिए है लेकिन हमारे इतने लंबे आंदोलन, देश में चल रहे किसान आंदोलन तथा अन्य आंदोलनों की परिणीति को देखते हुए लगता है की तंत्र आम जनता पर भारी पड़ रहा है।

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सन 1950 में भारत को गणतंत्र देश घोषित करते हुए तत्कालीन शासकों व जनता ने गणतंत्र की जो भी कल्पना की होगी वह प्रारंभिक दिनों में अशिक्षा वह जागरूकता के अभाव में पूर्ण रुप से लागू नहीं हो पाई जिसका लाभ उठाकर धीरे धीरे जनता पर तंत्र हावी होता गया जिसका परिणाम यह हुआ है कि गणतंत्र के नाम पर 5 साल में चुनाव मैं सत्ता हाथ में आ जाने के बाद जनता जो स्वयं शासक है अपने अधिकारों के लिए जूझती नजर आती है और तंत्र से जुड़े लोग उसकी जमकर अवहेलना करते हैं तथा अपने संविधान सम्मत अधिकारों का जमकर दुरुपयोग भी करते हैं।

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गुरिल्ला नेताओं ने कहा कि उनकी मांगें सीमा की सुरक्षा से जुड़ी हुई है उनकी मांग में केवल अपने नौकरी पेंशन की मांग नहीं उनकी मांगे हैं सीमावर्ती इलाकों में पूर्व में सरकारों द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के लिए जरूरी समझी गई व्यवस्था से जुड़ी हैं और आज भी प्रासंगिक है।

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उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस पर वह सरकार को याद दिलाना चाहते हैं उनकी मांगों पर कार्यवाही तो बाद की बात है किसी भी मांग के लिए चले इतने लंबे आंदोलन के बावजूद वर्तमान सरकार द्वारा संवाद हीनता की स्थिति बना देना गणतंत्र पर प्रश्नचिन्ह लगाता है हालांकि, कोरोना के चलते पिछले वर्ष आंदोलन में तल्खी वह तेजी नहीं देखी गई लेकिन संगठन आने वाले समय में आंदोलन को तेज करने को कटिबद्ध है ।

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