बयालिस लोगों के हत्याकांड के आरोपी 16 पुलिसकर्मी को सुनाई सजा, 31 साल बाद पीड़ियों को मिला ऩ्याय

1987 में हुआ था मेरठ का हासिमपुरा कांड डेस्क। हाशिमपुरा नरसंहार में  31 साल बाद 42 लोगों की हत्या के आरोप में न्यायालय ने 16…

1987 में हुआ था मेरठ का हासिमपुरा कांड

डेस्क। हाशिमपुरा नरसंहार में  31 साल बाद 42 लोगों की हत्या के आरोप में न्यायालय ने 16 पुलिस कर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है|
दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद 42 लोगों की मौत मंजर आंखों के सामने तैरने लगा। पीड़ितों के परिवारीजनों में न्याय पाने की खुशी और अपनों को खोने की पीड़ा छलछलाती नजर आई। दरअसल,1987 के हाशिमपुरा कांड में दिल्ली हाईकोर्ट ने आज फैसला सुना दिया और उसने उन 16 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सज़ा दी जिन्हें निचली अदालत ने बरी कर दिया था। उल्लेखनीय है कि पीएएस के जवानों पर लोगों को हिरासत में लेकर गोली मारने का आरोप लगा था। 2015 में इस नरसंहार पर फैसला आया था और कोर्ट ने सभी 16 आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था।
घटनाक्रम के प्रत़्क्षदर्शियो के  मुताबिक 22 मई, 1987 की रात सेना ने जुमे की नमाज के बाद हाशिमपुरा और आसपास के मुहल्लों में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अभियान चलाया था। उन्होंने सभी मर्दों-बच्चों को मोहल्ले के बाहर मुख्य सड़क पर इकट्ठा करके वहां मौजूद पीएसी के जवानों के हवाले कर दिया। हालांकि आसपास से 644 मुस्लिमों को गिरफ्तार किया गया था लेकिन उनमें हाशिमपुरा के 150 जवान भी थे। 22 मई 1987 की रात सेना ने जुमे की नमाज के बाद हाशिमपुरा में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अभियान चलाया था।
1987 में अल्पसंख्यक समुदाय के 42 लोगों का हुआ नरसंहार हुआ था ।नरसंहार का आरोप 19 पुलिसकर्मियों पर लगा था। इस बीच सुनवाई के दौरान तीन की मौत हो चुकी है।हाईकोर्ट ने सभी 16 पुलिसकर्मियों को हत्या, अपहरण और साजिश रचने (120-बी) का दोषी पाया। दोषियों को उम्रकैद के साथ-साथ 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी देना होगा। कोर्ट ने 26 नवंबर तक सभी को आत्मसमर्पण का भी आदेश दिया है।कोर्ट ने कहा, एक समुदाय विशेष को लक्ष्य करके पुलिस ने यह कृत्य किया था।31 साल लगे न्याय पाने में। हाशिमपुरा केस में सभी 16 आरोपितों को उम्रकैदन्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और विनोद गोयलदिल्ली हाई कोर्ट की पीठ ने  फैसला सुनाया|